नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने एक बड़ा बयान देकर सियासी हलचल तेज कर दी है। उन्होंने खुलासा किया है कि 2008 के 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय दबाव और विदेश मंत्रालय के रुख की वजह से पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई न करने का फैसला किया था।
चिदंबरम ने स्वीकार किया कि उनके मन में पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई का विचार आया था, लेकिन हालात और वैश्विक दबाव को देखते हुए सरकार ने संयम बरतने का फैसला लिया।
“कृपया प्रतिक्रिया न दें” — कोंडोलीज़ा राइस
एक टीवी इंटरव्यू में चिदंबरम ने बताया, “जब मैंने गृह मंत्रालय का पदभार संभाला तो उस समय अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस दिल्ली आईं और उन्होंने मुझसे व प्रधानमंत्री से मुलाकात कर साफ कहा— कृपया प्रतिक्रिया न दें।”
उन्होंने कहा कि उन्होंने उस समय प्रधानमंत्री और अन्य शीर्ष नेतृत्व के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी। चिदंबरम ने माना कि विदेश मंत्रालय और भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारियों की राय से प्रभावित होकर अंततः यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान पर सैन्य हमला नहीं किया जाएगा।
26/11 हमला और नेतृत्व में बदलाव
26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई में भीषण हमला किया था। इस हमले में 175 लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, सीएसटी स्टेशन, कामा अस्पताल, लियोपोल्ड कैफे और नरीमन हाउस को निशाना बनाया।
हमलों के तुरंत बाद तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने चिदंबरम को वित्त मंत्रालय से हटाकर गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी।
बीजेपी ने किया हमला
चिदंबरम के इस बयान पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेर लिया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह स्वीकारोक्ति “बहुत देर से और बहुत कम” आई है।
बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने और तीखा हमला बोलते हुए कहा, “चिदंबरम खुद मानते हैं कि वे जवाबी कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन यूपीए सरकार कोंडोलीज़ा राइस के इशारे पर चल रही थी। सवाल है— क्या सोनिया गांधी या तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस फैसले को रोका?”
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने न केवल पाकिस्तान को “क्लीन चिट” देने की कोशिश की, बल्कि “हिंदू आतंकवाद” की कहानी को भी आगे बढ़ाया। साथ ही यूपीए सरकार पर यह भी आरोप लगाया गया कि कई आतंकी हमलों के बावजूद पाकिस्तान को “मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN)” का दर्जा देती रही।
कांग्रेस पर फिर उठे सवाल
बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर मुंबई हमलों और 2007 समझौता एक्सप्रेस धमाकों के मामलों को लेकर पाकिस्तान के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार आज तक यह साफ नहीं कर पाई कि आखिर अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद भारत ने पाकिस्तान को कड़ा जवाब क्यों नहीं दिया।
यह खुलासा न केवल 26/11 हमलों की दर्दनाक यादें ताज़ा करता है, बल्कि उस समय की भारत की विदेश नीति और राजनीतिक निर्णयों पर भी नए सिरे से बहस छेड़ देता है।
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