रांची: हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी साहित्य भारती के तत्वावधान में रविवार को रांची में एक भव्य विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन उड़ान एकेडमी के प्रांगण में हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी साहित्य भारती झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने की, जबकि प्रख्यात साहित्यकार डॉ. जग बहादुर पांडे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

विचार गोष्ठी में हिंदी भाषा और साहित्य की वर्तमान स्थिति, चुनौतियां और भविष्य की संभावनाओं पर गहन विमर्श हुआ। वक्ताओं ने कहा कि हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और अस्मिता की धरोहर है। आवश्यकता है कि हिंदी को शिक्षा, प्रशासन और व्यवसाय के सभी क्षेत्रों में सशक्त रूप से स्थापित किया जाए।
अजय राय ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा, “हिंदी दिवस केवल औपचारिकता का दिन नहीं, बल्कि आत्ममंथन का अवसर है। हमें यह देखना होगा कि तकनीकी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में हम अपनी मातृभाषा को किस तरह मजबूती दे सकते हैं।”
उन्होंने हिंदी को केवल घर की भाषा न मानकर कार्यक्षेत्र और व्यवसाय की भाषा बनाने की अपील की।

मुख्य अतिथि डॉ. जग बहादुर पांडे ने कहा कि हिंदी भाषा में अपार अभिव्यक्ति की क्षमता है और साहित्यिक सृजन समाज परिवर्तन का प्रभावी साधन है। उन्होंने युवाओं से हिंदी लेखन और पठन को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर डॉ. बासुदेव प्रसाद, डॉ. अभिषेक, अरुण अग्रवाल, सुकुमार झा, डॉ. ममता, त्रिपुरेश्वर मिश्रा और डॉ. अंजेश ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि हिंदी की समृद्धि और प्रसार की जिम्मेदारी नई पीढ़ी पर है। डिजिटल और तकनीकी माध्यमों के जरिए हिंदी को सशक्त बनाना समय की मांग है।
कार्यक्रम के अंत में घोषणा की गई कि हिंदी साहित्य भारती आगामी वर्ष में झारखंड के विभिन्न जिलों में “हिंदी जागरूकता अभियान” चलाएगी। इसके तहत गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन और कार्यशालाएँ आयोजित होंगी। साथ ही, डिजिटल मंचों पर हिंदी के प्रोत्साहन के लिए विशेष पहल करने का निश्चय लिया गया।
कार्यक्रम का संचालन रांची इकाई के अध्यक्ष बलराम पाठक ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन अरुण अग्रवाल ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार, शिक्षाविद्, छात्र-छात्राएँ और हिंदी प्रेमी शामिल हुए।