नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण यानी SIR अभियान पर मंगलवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने चुनाव आयोग के रुख को सही ठहराते हुए कहा कि आधार कार्ड को नागरिकता का निर्णायक और एकमात्र प्रमाण नहीं माना जा सकता।
बिहार में चल रहे SIR अभियान के तहत मतदाता सूची की सत्यता जांच में चुनाव आयोग ने आधार कार्ड को नागरिकता या पहचान का अंतिम प्रमाण मानने से इनकार किया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आधार में गलत या अधूरी जानकारी हो सकती है, इसलिए इसकी भी जांच जरूरी है। नागरिकता साबित करने के लिए पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र या अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त दस्तावेजों पर भी विचार किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि SIR अभियान के तहत मतदाता सूची का अद्यतन और सत्यापन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे चुनाव की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहती है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग का दायित्व है कि वह मतदाता सूची को सटीक और त्रुटिरहित बनाए, और इसके लिए जरूरी कदम उठाए।