रांची: झारखंड में करोड़ों रुपये के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच तेज हो गई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने सोमवार को रामगढ़ उपायुक्त फैज अक अहमद से करीब कई घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ के दौरान एसीबी ने उनसे उन तमाम बिंदुओं पर जवाब मांगे, जो उत्पाद विभाग में उनकी तैनाती के दौरान सामने आए थे।
एसीबी ने किन मुद्दों पर पूछताछ की?
जांच अधिकारियों ने फैज अक अहमद से पूछा कि उत्पाद आयुक्त रहते हुए उन्होंने प्लेसमेंट एजेंसियों पर क्या कार्रवाई की? जिन एजेंसियों ने बैंक गारंटी जमा की थी, क्या उसकी सत्यापन रिपोर्ट तैयार कराई गई? यदि बैंक गारंटी की जांच नहीं कराई गई, तो कमी की वजह क्या थी?
सूत्रों की मानें तो फैज अक अहमद से कई दस्तावेज भी मांगे गए हैं। जून माह में एसीबी ने उन्हें पहला नोटिस भेजा था, तब उन्हें उन अधिकारियों की श्रेणी में रखा गया था, जिन्होंने विभाग में हुई अनियमितताओं की पहचान की थी। हालांकि, अब जांच की दिशा बदलती दिख रही है।
जल्द होगी जमशेदपुर डीसी कर्ण सत्यार्थी से पूछताछ
इधर, एसीबी जल्द ही उत्पाद विभाग में काम कर चुके जमशेदपुर डीसी कर्ण सत्यार्थी से भी पूछताछ करेगी। माना जा रहा है कि उनसे विभागीय प्रक्रियाओं और एजेंसियों की नियुक्ति से जुड़े सवाल पूछे जाएंगे।
कैसे हुआ था घोटाला?
राज्य में मैनपावर सप्लाई देने वाली दो बड़ी एजेंसियों, मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी और मार्शन इनोवेटिव ने शराब दुकानों के संचालन के लिए 5–5 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी। शराब बिक्री के बाद भी इन एजेंसियों ने विभागीय खाते में राशि जमा नहीं कराई, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
इस घोटाले में उत्पाद विभाग के कई अफसर जांच के दायरे में हैं। विनय चौबे (पूर्व सचिव) गिरफ्तारी के बाद फिलहाल बेल पर हैं। अमित प्रकाश गिरफ्तारी के बाद बेल पर हैं। मनोज कुमार (पूर्व उत्पाद सचिव) से पूछताछ पूरी हो चुकी है। मुकेश कुमार (पूर्व उत्पाद सचिव) से पूछताछ पूरी हो चुकी है।
जांच एजेंसी अब सभी अधिकारियों के भूमिका, निर्णयों और फाइल नोटिंग्स का विश्लेषण कर रही है ताकि घोटाले की पूरी परतें खोली जा सके।
शराब घोटाला मामले में रामगढ़ डीसी से एसीबी ने की पूछताछ












