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आखिर क्यों झारखंड भवन में जमीन पर बैठकर टिफिन खाने को मजबूर हुए विधायक डॉ. शशिभूषण मेहता?

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झारखंड वार्ता डेस्क

नई दिल्ली/रांची: झारखंड के पलामू जिले के पांकी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक डॉ. शशिभूषण मेहता को शुक्रवार को तब भारी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा, जब दिल्ली स्थित झारखंड भवन में पहले से बुक रहने के बावजूद उन्हें आवास उपलब्ध नहीं कराया गया। इस घटनाक्रम से आहत विधायक झारखंड भवन के रिसेप्शन काउंटर के सामने ही अपने सामान के साथ धरने पर बैठ गए।

विधायक मेहता ने बताया कि उन्होंने अपने नाम से दो कमरे पहले ही बुक करवा लिए थे और इसकी पुष्टि भी करवाई थी। लेकिन जब वे भवन पहुंचे, तो उन्हें सूचित किया गया कि केवल एक ही कमरा उनके नाम से बुक है और बाकी कोई भी कमरा खाली नहीं है। विधायक ने इसे सीधे-सीधे “विधायिका का अपमान” करार दिया।

धरने पर बैठकर किया भोजन, मुख्य सचिव और विधानसभा अध्यक्ष को दी जानकारी

अपमानित महसूस कर रहे विधायक ने रिसेप्शन के सामने ही धरना देते हुए अपने साथ लाया गया टिफिन खोला और वहीं भोजन भी किया। उन्होंने इस पूरी घटना की जानकारी राज्य की मुख्य सचिव श्रीमती अलका तिवारी और झारखंड विधानसभा अध्यक्ष श्री रवींद्रनाथ महतो को दी।

विधायक ने कहा कि यह किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी विधायिका का अपमान है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने स्वयं मामले की जांच की तो पाया कि एक कमरा एक पूर्व विधायक के नाम बुक है जबकि कई अन्य कमरे खाली थे। इसके बावजूद उन्हें कमरा देने से मना किया गया।

राज्य मंत्री संजय सेठ और कल्पना सोरेन को भी दी जानकारी

डॉ. शशिभूषण मेहता ने इस मामले की जानकारी केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और झामुमो विधायक कल्पना सोरेन को भी दी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस प्रकार का पक्षपातपूर्ण व्यवहार कतई बर्दाश्त योग्य नहीं है।

मुख्यमंत्री से कड़ी कार्रवाई की मांग

विधायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कड़ी प्रतिक्रिया की अपेक्षा जताते हुए कहा — एक आंख में सुरमा और दूसरी में काजल नहीं चल सकता। करोड़ों रुपये खर्च कर बना झारखंड भवन आखिर किसके लिए है? जब राज्य का एक निर्वाचित विधायक ही वहां अपमानित होता है, तो व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठते हैं। उन्होंने मांग की कि भवन की अव्यवस्था और मनमानी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में किसी जनप्रतिनिधि को इस तरह की स्थिति का सामना न करना पड़े।

Shubham Jaiswal

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