पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आते ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कड़े अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए 3 बागी नेताओं पर एक्शन लिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री आर के सिंह, विधान परिषद सदस्य अशोक अग्रवाल और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल के खिलाफ एक्शन लिया है। इन तीनों नेताओं को पार्टी गतिविधियों के कारण निलंबित किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद आर के सिंह को पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया। लंबे समय से पार्टी लाइन के विपरीत बयान देकर संगठन को असहज स्थिति में लाने वाले सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई कई दौर की चेतावनियों के बाद की गई। बिहार बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा ने तीनों को पत्र लिख कर निलंबन की जानकारी दी है।
चुनाव के बीच आर के सिंह के बयान बने विवाद का कारण
चुनावी अभियान के दौरान आर के सिंह कई बार खुले मंच से ऐसे बयान देते रहे, जिनकी वजह से पार्टी दबाव में आ गई थी। उन्होंने न केवल NDA बल्कि गठबंधन के उम्मीदवारों तक पर सवाल उठाए। कई सीटों पर NDA उम्मीदवारों को अनुचित चयन बताया। बिहार में कथित बिजली घोटाले का मुद्दा उठाकर नीतीश कुमार सरकार पर हमला किया। बीजेपी और जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं पर भी तीखे आरोप लगाए।
कई नेताओं पर गंभीर आरोप, चुनावी माहौल हुआ गरम
सिंह ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, जेडीयू नेता अनंत सिंह, और RJD के सूरजभान सिंह पर भी कठोर टिप्पणी करते हुए कहा था कि “ऐसे लोगों को वोट देने से अच्छा है चुल्लू भर पानी में डूब मर जाना।” इसके अलावा उन्होंने आरजेडी के कई उम्मीदवारों को अपराध से जुड़ा बताते हुए जनता से उन्हें वोट न देने की अपील की थी। इससे राजनीतिक तापमान अचानक बढ़ गया और विपक्ष ने इन बयानों को बड़े मुद्दे के रूप में उछालना शुरू कर दिया।
चुनाव प्रचार के दौरान कार्रवाई से बची थी पार्टी
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी नेतृत्व ने चुनावी माहौल में किसी भी तरह का विवाद बढ़ने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की। पार्टी को आशंका थी कि इस दौरान उठाया गया कदम विपक्ष द्वारा राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन परिणाम आने के साथ ही संगठन ने अनुशासनहीनता पर सख्त रुख अपनाते हुए आर.के. सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
बीजेपी का आधिकारिक रुख
पार्टी द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि: आर.के. सिंह लगातार पार्टी अनुशासन का उल्लंघन कर रहे थे। उनके बयान संगठन की छवि को नुकसान पहुंचा रहे थे। कई मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां पार्टी लाइन के विरुद्ध और भ्रामक थीं। इन आधारों पर उन्हें छह वर्षों के लिए प्राथमिक सदस्यता सहित सभी दायित्वों से निष्कासित कर दिया गया है।
राजनीतिक हल्कों में हलचल
बीजेपी के इस निर्णय ने बिहार की राजनीतिक फील्ड में हलचल पैदा कर दी है। कई विश्लेषक इसे चुनाव परिणामों के बाद पार्टी द्वारा संगठनात्मक कसावट बढ़ाने की दिशा में उठाया गया “कड़ा लेकिन अपेक्षित” कदम मान रहे हैं।
बिहार चुनाव के बाद बीजेपी का ताबड़तोड़ एक्शन, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह समेत 3 नेताओं को पार्टी से निकाला














