मुंबई: छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इस्तेमाल किया गया ‘वाघ नख’ 350 साल के बाद बुधवार (17 जुलाई) को लंदन के एक संग्रहालय से मुंबई लाया गया। इस वाघ नख को अब पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा ले जाया जाएगा, जहां 19 जुलाई से इसका प्रदर्शन किया जाएगा। नख का सतारा में भव्य स्वागत किया जाएगा। इसे कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया है और बुलेटप्रूफ कवर रखा गया है। ‘वाघ नख’ को सात महीने के लिए सतारा के एक संग्रहालय में रखा जाएगा।
3 साल बाद वापस लौटना होगा ‘वाघ नख’
राज्य के आबकारी मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा कि पहले लंदन के म्यूजियम ने पहले एक साल के लिए नख भारत भेजने पर सहमति जताई थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने नख को 3 साल के लिए राज्य में प्रदर्शन के लिए सौंपने के लिए राजी किया। उन्होंने कहा कि काफी प्रयासों के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार के सफल प्रयासों के चलते बाघनख को महाराष्ट्र लाया गया।
यह एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण हथियार है, जिसे शिवाजी ने अफजल खान के वध में इस्तेमाल किया था, अब भारतीय जनता के लिए यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगा। बताया जाता है कि शिवाजी ने 1659 में बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मारने के लिए ‘वाघ नख’ का इस्तेमाल किया था। अफजल खान ने गले लगते हुए अचानक शिवाजी को मारने के लिए उनपर हमला किया था, जिसके बाद शिवाजी ने भी तुरंत अपना ‘वाघ नख’ निकाला और अफजल खान का पेट चीरकर उसकी आंतें फाड़ दीं। इसके बाद शिवाजी के एक आदमी ने खान का सिर काट दिया गया। इसके बाद हुए युद्ध में शिवाजी की सेना विजयी हुई।
बाघ नख एक अनोखा और खतरनाक हथियार है, जो एक बाघ के पंजे की तरह दिखता है। इसे धातु से बनाया गया है और इसमें तेज धार वाले नाखून होते हैं।
शिवाजी महाराज का यह हथियार लंबे वक्त तक विदेश में संग्रहालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के पास रहा। इस ऐतिहासिक धरोहर को भारत लाने के लिए कई सालों तक सरकार और इतिहासकारों ने लगातार कोशिश की और आखिरकार अब महाराष्ट्र सरकार को इसे सौंप दिया गया है।