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सिसई: स्वामी विवेकानंद जयंती पर सरस्वती विद्या मंदिर कुदरा में पूर्व छात्र दिवस सम्मेलन का आयोजन

On: January 12, 2025 4:09 PM
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मदन साहु

सिसई (गुमला): स्वामी विवेकानंद जी जयंती एवं युवा दिवस के शुभ अवसर पर रंजीत नारायण सिंह सरस्वती विद्या मंदिर कुदरा में विद्या भारती के द्वारा पूर्व छात्र छात्राओं का सम्मेलन आयोजित किया गया। जो प्रतिवर्ष बारह जनवरी को विद्या भारती के द्वारा घोषित पूर्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। सर्वप्रथम प्रधानाचार्य देवेंद्र वर्मा जी एवं मुख्य अतिथि अखिलेश कुमार विभाग निरीक्षक, विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष दिलीप कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष रविंद्र नाथ अधिकारी, महिला अभिभावक समिति सदस्य किरण देवी, एवं आचार्य आचार्या के द्वारा दीप प्रज्वलन तथा स्वामी विवेकानंद जी के चित्रों पर माल्यार्पण और पुष्पार्चन व वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए। आचार्य मृत्युंजय मिश्रा जी के द्वारा अतिथि परिचय कराया  गया। तदोपरांत कक्षा दशम के बहनों के द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार वर्मा जी ने  प्रवेश भूमिका के तहत पूर्व छात्र छात्राओं को संदेश वाहक के रूप संबोधित किये। एवं उन्होंने विद्या भारती के चार आयामों में एक श्रेष्ठतम कड़ी संस्कार के बारे में कहा कि विद्या भारती के भैया बहन विद्यालय के संस्कारों को हर तरफ फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। विद्या भारती के पूर्व छात्र भी विद्यालय में आचार्य आचार्या बनकर भैया बहनों को संस्कार दे रहे हैं। और उनके उज्ज्वल भविष्य कि कामनाएं की। अतिथि के रूप में आये पूर्व छात्र कामेश साहू जो एक मोटिवेशनल स्पीकर हैं, ने अपने अनुभव एवं विचारों को साझा करते हुए स्वामी विवेकानंद जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 1863 ई में हुआ था। और उनका बचपन का नाम नरेन्द्र दत्त था। उनका जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा। विवेकानंद जी ने छोटी उम्र में ही जगह जगह व्याख्यान देने शुरू कर दिए थे। उन्होंने लक्ष्य के प्रति युवाओं में जागरूकता लाने के लिए अभियान चलाए। और युवाओं का मार्गदर्शक बने। स्वामी विवेकानंद जी ने हमेशा एक बात कही कि उठो,जागो ,आगे, बढ़ो और तबतक न रुको जबतक मंजिल नहीं मिल जाते। कामेश साहू ने सभी छात्र छात्राओं को सफलता का मूल मंत्र देते हुए कहा कि मन में जरा सा भी नकारात्मक का भाव नहीं होना चाहिए। हमेशा चेहरे पर मुस्कुराहट रहना चाहिए क्योंकि मुस्कुराहट से आपसे ईर्ष्या करने वाले भी ईर्ष्या करना छोड़ देते हैं। अपने लक्ष्य के प्रति अडिग और दृढ़ संकल्पित रहेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी इसलिए आप सभी अपना अपना लक्ष्य बनाए और उसे पाने के लिए जी जान से पूरी लगन के साथ जूट जाएं। तो कामयाबी आपकी कदम चूमेगी।                          

इसके बाद पूर्व छात्र आशीष यादव ने अपने विचारों को साझा करते हुए विद्यालय में बिताए हुए अपने शिक्षा काल की चर्चा की और कहा कि आज पुनः विद्यालय के प्रांगण में आकर काफी उत्त्साहित महसूस कर रहे हैं।                    

मुख्य अतिथि (विभाग निरीक्षक) अखिलेश कुमार जी ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों की सफलता से गुरु को भी सम्मान मिलता है। विद्या भारती ने आज के दिन को पूर्व छात्र दिवस के रूप में घोषित किया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत की शिक्षा कभी भी सरकारी तन्त्र पर आधारित नहीं रही है, आदिकाल से भारत की शिक्षा समाज पोषित एवं समाज संरक्षित रही है। उन्होंने छात्रों से कहा कि आप सभी छात्र छात्राएं विद्या भारती की धरोहर हैं। स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा शिकागो में दिए हुए व्याख्या पर चर्चा करते हुए कहा कि कैसे शिकागो में हमारे स्वामी विवेकानंद जी को उनके पहनावे पर अपमानित किया गया और उन्हें भाषण देने से रोका जा रहा था। तब स्वामी जी ने दो मिनट का वक्त मांगा और उसी दो के अपने भाषण से पूरे विश्व में छा गए। उन्होंने सभागार में सभी को माई सिस्टर एंड ब्रदर्स कह कर संबोधित किया। तब पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। क्योंकि वहां सभी व्याख्या करने वाले लोगों से लेडीज एंड जेंटलमेंस कह कर संबोधित कर रहे थे। स्वामी जी ने अपने भाषण में कहा कि हमारी व्यक्तित्व की पहचान चरित्र से होती है, वेशभूषा से नहीं। और यही हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है। अखिलेश कुमार जी आगे कहा कि आप जिस शिक्षण संस्थान से निकले वो पुष्पित हो, पल्लवित हो।                      

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष दिलीप कुमार गुप्ता जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि हमसभी इस सभागार में स्वामी विवेकानंद जी की जन्मोत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। उन्होंने एक पंक्ति कही कि “शिक्षा वो शेरनी का दूध है, जिसने पिया वो दहाड़ा” उन्होंने आगे कहा कि हर कोई राणा प्रताप बन जाय तो भामा साह कौन बनेगा। इसलिए जितना ज्यादा हो सके ज्ञान अर्जित करें यदि नौकरी न भी मिले तो हतोत्साहित न हों बल्कि व्यवसाय या किसी अन्य क्षेत्र में भी अपना भविष्य बना सकते हैं। अभी आप सभी का समय बर्बाद नहीं हुआ है। महान विभूतियों के विचारों और गुरुजनों के बातों को अपने आचरण में उतारने की आवश्यकता है। सारे बच्चों को समय रहते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित किये।        

मुख्य अतिथि के द्वारा पूर्व छात्र छात्राओं को उत्सर्ग पुस्तक एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इससे पहले अतिथि पूर्व छात्र कामेश साहू के द्वारा मुख्य अतिथि एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य तथा सभी आचार्य आचार्या को वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम का मंच संचालन विद्यालय की पूर्व छात्रा अंकिता कुमारी ने अपने खूबसूरत अंदाज में    बहुत ही सुंदर ढंग से किया। कक्षा नवम की बहनों द्वारा सामूहिक भाव नृत्य (राम आयेंगे) की खुबसुरत प्रस्तुति की गई साथ ही महाभारत के सार पर विद्या मंदिर के बहनों द्वारा खूबसूरत सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया गया जो सभी का मन मोह लिया।प्रधानाचार्य देवेंद्र वर्मा जी ने सभी छात्र छात्राओं को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दिये।  इस कार्यक्रम में आचार्य बदरी सिंह, कमल सिंह, विक्रम गुप्ता, नाथु भगत, जितेंद्र कुमार, मृत्युंजय मिश्रा, अरविंद कुमार कमला, तथा आचार्या ममता कुमारी, कौशल्या रानी, सरिता मुखर्जी, और सभी छात्र छात्राएं उपस्थित थे। अन्त में शान्ति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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