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सुदेश महतो के प्रोत्साहन से आगे बढ़ने का मन बनाया : अरुणा तिर्की

On: August 18, 2025 12:42 PM
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रांची: सुदेश महतो के प्रोत्साहन से आगे बढ़ने का मन बनाया उक्त बाते आदिवासी खाद्य संस्कृति को जीवित रखने वाली अजम एम्बा रेस्तरां की संचालिका अरुणा तिर्की ने कहा सोमवार को रांची हिनू निवासी एवं आदर्श हाई स्कूल मुरी के प्राचार्य प्रो अनिल कुमार से इस अजम एम्बा रेस्तरां में जाने का मौका मिला। जहां उन्होंने अजम एम्बा रेस्तरां की संचालिका अरुणा तिर्की से मिलवाया। तब उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 रांची में आजसू पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को
मुझे ओर मेरे पूरे सदस्यों को भोजन खिलाने का काम मिला था। मेरे द्वारा बनाए गए व्यंजन से सुदेश कुमार महतो काफी प्रभावित हुए तथा उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाने के प्रोत्साहित किया। तभी से मैने भी कभी पीछे नहीं देखा। ज्ञात हो कि आदिवासी व्यंजनों से पारंपरिक व्यंजन रेस्तरां रांची के कांके रोड पर रेस्तरां है। उन्होंने बताया कि यह खोलने से पहले, अरुणा तिर्की वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ काम कर चुकी है। तिर्की के पास ग्रामीण विकास में स्नातकोत्तर डिप्लोमा है और उन्हें झारखंड और मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदायों के लिए काम करने का 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। 2016 -17 में, अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक पाक कला प्रतियोगिता में आदिवासी व्यंजनों के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित भी हुई है।आपको बता दे कि अजम एम्बा तक पहुँचने के लिए रांची से काके जाने के क्रम में काके पुल से पहले दाहिने ओर एक कच्चा रास्ता है। जो शुरू में तो बंद गली जैसी लगेगा । अंदर पहुँचकर, परिसर में छोटी सी जगह पर कार पार्किंग की व्यवस्था की गई है। रेस्तरां परिसर में एक तरफ़ फूस की छत वाले कई घर बने हुए है। कमरों में भोजन कक्ष बने हुए जहां पर आप सह परिवार विभिन्न आदिवासियों व्यंजनों का आनंद ले सकते है। उन्होंने बताया कि पूर्व में हम झारखंडियों की आदिवासी व्यंजनों में शहद में उबले हुए जंगली कंद, तले हुए मशरूम, मुद्धा अड़ा, मुद्धा वड़ा, नारियल चावल, कल्लू पुट्टू, पोलायप्पम, रागी समोसा, चू तागी, मुर्री पंडुल्लू, हाउ चटनी, दूध पुली, रागी डोसा, खू रे खू, जिल लैड, कारा कनी, महुआ खीर, और डबू हुआ करती थी। परंतु तेजी से समय के बदलते परिवेश में इस व्यंजन से लोग दूर हो गए। विदेशी फास्ट फूड का स्वाद लेने लगे। इसलिए झारखंडी व्यंजन को फिर से वापस लाने का प्रयास कर रही हूं।

Dinesh Banerjee

मेरा नाम दिनेश रंजन बनर्जी है। मैं पिछले 10 साल से पत्रकारिकता कर रहा हूं। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता में "प्रतिनिधि" के पद पर कार्यरत हूँ। तथ्यपूर्ण और निष्पक्ष पत्रकारिता करना मेरा उद्देश्य है।सरल और प्रभावी भाषा में खबरें प्रस्तुत करना मेरी सबसे बड़ी ताकत है। हमेशा सत्य और प्रमाणित जानकारी को पाठकों तक पहुँचाने की कोशिश करता हूँ। नई घटनाओं और मुद्दों को गहराई से समझकर निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत करना मुझे पसंद है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाना मेरा संकल्प है।

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