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जब तक इस्लाम है, आतंकवाद रहेगा : तस्लीमा नसरीन

On: May 5, 2025 3:43 AM
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Taslima Nasrin: बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने पहलगाम आतंकी हमले और 2016 में ढाका में हुए आतंकवादी हमले के बीच समानताएं बताते हुए कहा कि जब तक इस्लाम है, आतंकवाद बना रहेगा। तस्लीमा नसरीन की यह टिप्पणी पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि में आई है। दिल्ली साहित्य महोत्सव में बोलते हुए लेखिका ने कहा, ‘इस्लाम 1,400 सालों में विकसित नहीं हुआ’। उन्होंने आगे कहा, ‘जब तक ऐसा नहीं होता, यह आतंकियों को जन्म देता रहेगा. 2016 के ढाका हमले में मुसलमानों को इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे कलमा नहीं पढ़ सके। जब आस्था को तर्क और मानवता पर हावी होने दिया जाता है, तब ऐसा होता है।’

नसरीन ने कहा, यूरोप में गिरिजाघर संग्रहालय में बदल गए हैं, लेकिन मुसलमान हर जगह मस्जिद बनाने में व्यस्त हैं। हजारों मस्जिदें हैं और वे और भी मस्जिदें बनाना चाहते हैं। वे जिहादी पैदा करते हैं। मदरसे नहीं होने चाहिए। बच्चों को सभी किताबें पढ़नी चाहिए, सिर्फ एक नहीं।

ईशनिंदा के आरोपों के बाद नसरीन 1994 से स्वीडन, अमेरिका और भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं। उन्होंने कहा, मैं अमेरिका की स्थायी निवासी हूं और 10 साल तक वहां रही हूं, लेकिन मुझे हमेशा एक बाहरी व्यक्ति जैसा महसूस होता था। कोलकाता आने के बाद ही मुझे घर जैसा महसूस हुआ। पश्चिम बंगाल से निकाले जाने के बाद मुझे दिल्ली दूसरा घर महसूस हुआ। इस देश ने मुझे वो अपनापन दिया है जो मेरा अपना देश नहीं दे सकता था। नसरीन ने कहा कि मुझे भारत से प्यार है। यह घर जैसा लगता है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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