मदन साहु
सिसई (गुमला): सिसई प्रखण्ड थाना क्षेत्र अंतर्गत रणजीत नारायण सिंह सरस्वती विद्या मंदिर कुदरा सिसई में बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
प्रधानाचार्य देवेन्द्र वर्मा ने विद्यालय कार्यकारिणी समिति के कोषाध्यक्ष अश्विनी कुमार देवघरिया एवम् सभी आचार्यों क्रमशः मृत्यंजय कुमार मिश्र ,कमल सिंह ,कौशल्या कुमारी , सरिता मुखर्जी ,ममता कुमारी के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके पश्चात कक्षा षष्ठ से बहन श्रेया तथा बहन चंचल ,कक्षा सप्तम से बहन सृष्टि ,श्रुति, संध्या व रानी तथा कक्षा अष्टम से बहन कुमकुम ,कक्षा नवम से बहन शिवानी और कक्षा दशम से बहन सोनी कुमारी व बहन सोनी लकड़ा ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। कक्षा अष्टम के भैया गौरव ने बड़े ही गहराई से बाबा साहेब के जीवन चरित्र का बखान किया।

उन्होंने कहा कि डॉ बी आर अंबेडकर जी का जन्म आज ही के दिन 14 अप्रैल 1891 ई को मध्य प्रदेश के महू में एक महार जाति परिवार में हुआ था। बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से मशहूर बीआर अंबेडकर एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे, जिन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। जिन्हें उस समय अछूत माना जाता था। भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता अंबेडकर जी ने महिलाओं के अधिकारों और मजदूरों के अधिकारों की वकालत की थी।

स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री के रूप में पहचाने जाने वाले अंबेडकर जी का भारतीय गणराज्य की सम्पूर्ण अवधारणा के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान रहा है। देश के प्रति उनके योगदान और सेवा को सम्मान देने के लिए हर वर्ष 14 अप्रैल को उनका जन्मदिन मनाया जाता है।

अंबेडकर और उनके योगदान का इतिहास
अंबेडकर जी कानून और अर्थशास्त्र के एक प्रतिभाशाली छात्र एवं व्यवसायी थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। उन्होंने अर्थशास्त्र में अपनी मजबूत पकड़ का इस्तेमाल भारत को पुरातन मान्यताओं और विचारों से मुक्त करने के लिए किया। अछूतों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र बनाने की अवधारणा का विरोध किया और सभी के लिए समान अधिकारों की वकालत की। “सामाजिक बहिष्कृत जातियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की”, जिसमें गैर ब्राह्मण वर्ग के लोग शामिल थे। उन्होंने वंचित वर्गों के बारे में अधिक से अधिक लिखने के लिए पाँच पत्रिकाएं शुरू की: – मूक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत। उन्होंने पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए अंग्रेजों द्वारा सुझाए गए पृथक निर्वाचन क्षेत्र का कड़ा विरोध किया। लंबी चर्चा के बाद पिछड़े वर्गों की ओर से अंबेडकर जी और अन्य हिन्दू समुदायों की ओर से कांग्रेस कार्यकर्ता मदन मोहन मालवीय के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। पूना पैक्ट के नाम से मशहूर इस समझौते ने वंचित वर्ग के लोगों को विधानमंडल में 148 सीटें प्राप्त करने की अनुमति दी, जबकि ब्रिटिश सरकार ने 71 सीटें सुझाई थीं। इस वंचित वर्ग को बाद में भारतीय संविधान में “अनुचित जाति” और ” अनुचित जनजाति” के रूप में मान्यता दी गईं। ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के बाद अंबेडकर जी को पहला कानून और न्याय मंत्री बनने के लिए आमंत्रित किया गया। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिए। बाद में उन्हें भारत के पहले संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए नियुक्त किया गया। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया और इस तरह भारत का संविधान अस्तित्व में आया।
