Tuesday, July 15, 2025
ख़बर को शेयर करें।

सिसई: रणजीत नारायण सिंह सरस्वती विद्या मंदिर में बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई 

ख़बर को शेयर करें।

मदन साहु


सिसई (गुमला): सिसई प्रखण्ड थाना क्षेत्र अंतर्गत रणजीत नारायण सिंह सरस्वती विद्या मंदिर कुदरा सिसई में बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।                        

प्रधानाचार्य देवेन्द्र वर्मा ने विद्यालय कार्यकारिणी समिति के कोषाध्यक्ष अश्विनी कुमार देवघरिया एवम् सभी आचार्यों क्रमशः  मृत्यंजय कुमार मिश्र ,कमल सिंह ,कौशल्या कुमारी , सरिता मुखर्जी ,ममता कुमारी के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके पश्चात कक्षा षष्ठ से बहन श्रेया तथा बहन चंचल ,कक्षा सप्तम से बहन सृष्टि ,श्रुति, संध्या व रानी तथा कक्षा अष्टम से बहन कुमकुम ,कक्षा नवम से बहन शिवानी और कक्षा दशम से बहन सोनी कुमारी व बहन सोनी लकड़ा ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। कक्षा अष्टम के भैया गौरव ने बड़े ही गहराई से बाबा साहेब के जीवन चरित्र का बखान किया।

उन्होंने कहा कि डॉ बी आर अंबेडकर जी का जन्म आज ही के दिन 14 अप्रैल 1891 ई को मध्य प्रदेश के महू में एक महार जाति परिवार में हुआ था। बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से मशहूर बीआर अंबेडकर एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे, जिन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। जिन्हें उस समय अछूत माना जाता था। भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता अंबेडकर जी ने महिलाओं के अधिकारों और मजदूरों के अधिकारों की वकालत की थी।

स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री के रूप में पहचाने जाने वाले अंबेडकर जी का भारतीय गणराज्य की सम्पूर्ण अवधारणा के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान रहा है। देश के प्रति उनके योगदान और सेवा को सम्मान देने के लिए हर वर्ष 14 अप्रैल को उनका जन्मदिन मनाया जाता है।

अंबेडकर और उनके योगदान का इतिहास        

अंबेडकर जी कानून और अर्थशास्त्र के एक प्रतिभाशाली छात्र एवं व्यवसायी थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। उन्होंने अर्थशास्त्र में अपनी मजबूत पकड़ का इस्तेमाल भारत को पुरातन मान्यताओं और विचारों से मुक्त करने के लिए किया। अछूतों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र बनाने की अवधारणा का विरोध किया और सभी के लिए समान अधिकारों की वकालत की। “सामाजिक बहिष्कृत जातियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की”, जिसमें गैर ब्राह्मण वर्ग के लोग शामिल थे। उन्होंने वंचित वर्गों के बारे में अधिक से अधिक लिखने के लिए पाँच पत्रिकाएं शुरू की: – मूक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत। उन्होंने पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए अंग्रेजों द्वारा सुझाए गए पृथक निर्वाचन क्षेत्र का कड़ा विरोध किया। लंबी चर्चा के बाद पिछड़े वर्गों की ओर से अंबेडकर जी और अन्य हिन्दू समुदायों की ओर से कांग्रेस कार्यकर्ता मदन मोहन मालवीय के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। पूना पैक्ट के नाम से मशहूर इस समझौते ने वंचित वर्ग के लोगों को विधानमंडल में 148 सीटें प्राप्त करने की अनुमति दी, जबकि ब्रिटिश सरकार ने 71 सीटें सुझाई थीं। इस वंचित वर्ग को बाद में भारतीय संविधान में “अनुचित जाति” और ” अनुचित जनजाति” के रूप में मान्यता दी गईं। ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के बाद अंबेडकर जी को पहला कानून और न्याय मंत्री बनने के लिए आमंत्रित किया गया। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिए। बाद में उन्हें भारत के पहले संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए नियुक्त किया गया। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया और इस तरह भारत का संविधान अस्तित्व में आया। 

     

डॉ. बी आर अंबेडकर की शैक्षिक योग्यता                      

भीमराव अंबेडकर भारतीय इतिहास में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, जिन्होंने शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की, जिनमें मुंबई में एलफिंस्टन कॉलेज, यूके में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और यूएसए में कोलंबिया विश्वविद्यालय शामिल हैं। उनकी सबसे उल्लेखनीय शैक्षणिक उपलब्धियों में से एक विदेशी विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बनना था। इसके अलावा उन्होंने दो साल मुंबई में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में भी काम किया। जहां उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल निचली जाति के छात्रों के अधिकारों की वकालत करने के लिए किए।

अंबेडकर जयंती क्यों मनाई जाती है?                              

भारत में डॉ बी आर अंबेडकर की जयंती इसलिए मनाई जाती है, ताकि भारतीय गरीबों के लिए उनके महत्वपूर्ण योगदान को याद किया जा सके और उनका सम्मान किया जा सके। शिक्षा की आवश्यकता को फैलाने और निम्न आय वर्ग की वित्तीय स्थिति को समृद्ध करने के लिए उनके द्वारा बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की गई थी। देश में जातिवाद को खत्म करने के उद्देश्य से उनके द्वारा एक सामाजिक आंदोलन चलाया गया था। अपने कार्यकाल के दौरान निम्न वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। वे जीवन भर समाज सुधारक और अर्थशास्त्री रहे।                      

अंबेडकर जयंती कैसे मनाई जाती है?

बाबासाहेब अंबेडकर जी की जयंती पूरे देश में मनाई जाती है, खास तौर पर महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, मजदूरों और उन सभी समुदायों में जिनके लिए अंबेडकर जी ने लड़ाई लड़ी। उनकी मूर्तियों और चित्रों पर माला चढ़ाकर लोग समाज सुधारक को श्रद्धांजलि देते हैं। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी वर्ष 2016,2017, और 2018 में अंबेडकर जयंती मनाई थी।इस दिन अंबेडकर जी के जीवन से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम और चर्चाएं होती हैं। अंबेडकर जी का दर्शन आज भी प्रासंगिक है। भारत की सामाजिक – सांस्कृतिक व्यवस्था को आकार देने में बाबासाहेब की सक्रिय भूमिका के बिना पुरानी और पुरातन मान्यताओं से आगे बढ़कर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में देश की तरक्की करना लगभग असंभव होता। 15 अगस्त 1947 को जब देश ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ तो कांग्रेस सरकार ने उन्हें पहला कानून मंत्री बनने के लिए आमंत्रित किया था। 29 अगस्त 1947 को उन्हें संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने देश के लिए नया संविधान तैयार किया। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को नया संविधान अपनाया था। सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया जो आज भारतीय रिजर्व बैंक है, की स्थापना में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि वे एक अर्थशास्त्री थे। उन्होंने तीन किताबें लिखीं:- “रूपये की समस्या: इसकी उत्पति और इसका समाधान” , “ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रशासन और वित्त” , और”ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास”। 

चूंकि डॉ बी आर अंबेडकर जी एक अर्थशास्त्री थे। इसलिए उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोगों को कृषि क्षेत्र और औद्योगिक गतिविधियों के विकास के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लोगों को बेहतर शिक्षा और सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए भी प्रेरित किया। दलित बौद्ध आंदोलन उनसे प्रेरित था जयंती प्रमुख आचार्य मृत्यंजय कुमार मिश्र ने कहा कि बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन संकल्पों और उन्हें पूरा करने की कहानी है। उन्होंने अपनी विद्वत्ता के बल पर एक निम्न जाति के होने के बावजूद भी भारतीय राजनीति में एक अहम स्थान प्राप्त किए । वे एक उत्कृष्ट पत्रकार , एक उत्कृष्ट वकील तथा अन्य जातियों के मसीहा बनकर उभरे और समाज में उन्हें प्रतिष्ठा दिलाई।        

धन्यवाद ज्ञापन पर बोलते हुए प्रधानाचार्य देवेन्द्र वर्मा ने कहा कि डॉ आंबेडकर गुदड़ी के एक लाल थे जो भारत रत्न बने।इनके मार्ग में सिर्फ़ कठिनाइयां थीं परन्तु हौसले बुलंद थे और परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता जिन्होंने विकसित कर ली। इतिहास उन्हें सैल्यूट करता है।

कार्यक्रम का संचालन कक्षा दसवीं की बहन श्रेया ने किया। शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

Video thumbnail
गढ़वा चैंबर ऑफ़ कॉमर्स में बड़ा बदलाव; पूर्व अध्यक्ष की वापसी| व्यापारियों के लिए नई पहल
02:47
Video thumbnail
फिल्म की शूटिंग के दौरान बड़ा हादसा
01:11
Video thumbnail
12 फीट लंबे अजगर का सफल रेस्क्यू, कुम्हरमारा जंगल में सुरक्षित रिहाई
01:10
Video thumbnail
पुल पर सेल्फी ले रहे पति को पत्नी ने दिया धक्का, लोगों ने बचाई जान, फिर लड़की ने...
01:40
Video thumbnail
महिला पतंजलि योग समिति ने नृत्य गीत संगीत के त्रिवेणी के साथ मनाया गुरु पर्व ऐसे!
05:41
Video thumbnail
चाचा-भतीजी के प्रेम-विवाह से भड़के गांववाले, दी तालिबानी सजा
01:40
Video thumbnail
श्री बंशीधर नगर का रेलवे अंडरपास बना आफत! पहली बारिश में घुटनों तक पानी #jharkhand
06:49
Video thumbnail
लातेहार पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई! हथियारों के साथ गिरफ्तार हुए राहुल सिंह गिरोह के 6 अपराधी
02:24
Video thumbnail
ददई जी सिर्फ़ नेता नहीं, हर दिल के अभिभावक थे— मंत्री दीपिका पांडे सिंह की नम आंखों से श्रद्धांजलि
01:32
Video thumbnail
झारखंड ने खोया अपना सच्चा जननेता, विधायक जयमंगल सिंह ने दी श्रद्धांजलि! #jharkhand
01:21

Related Articles

भरनो: विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर बीएलओ और सुपरवाइजरों को दिया गया प्रशिक्षण

भरनो (गुमला): प्रखंड कार्यालय सभागार में सोमवार को प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में...

गुमला में आकांक्षी जिला एवं प्रखंड कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा, स्वास्थ्य-शिक्षा और कृषि पर विशेष जोर

गुमला: उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के निर्देशानुसार सोमवार को समाहरणालय स्थित सभा कक्ष में उप विकास आयुक्त दिलेश्वर महत्तो की अध्यक्षता में...

गुमला में शिक्षा विभाग की मासिक समीक्षा बैठक सम्पन्न: शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार, नामांकन वृद्धि और शिक्षक जवाबदेही पर विशेष बल

गुमला: उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के निर्देशानुसार सोमवार को समाहरणालय सभाकक्ष में उप विकास आयुक्त दिलेश्वर महतो की अध्यक्षता में जिला शिक्षा...
- Advertisement -

Latest Articles

भरनो: विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर बीएलओ और सुपरवाइजरों को दिया गया प्रशिक्षण

भरनो (गुमला): प्रखंड कार्यालय सभागार में सोमवार को प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में...

गुमला में आकांक्षी जिला एवं प्रखंड कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा, स्वास्थ्य-शिक्षा और कृषि पर विशेष जोर

गुमला: उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के निर्देशानुसार सोमवार को समाहरणालय स्थित सभा कक्ष में उप विकास आयुक्त दिलेश्वर महत्तो की अध्यक्षता में...

गुमला में शिक्षा विभाग की मासिक समीक्षा बैठक सम्पन्न: शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार, नामांकन वृद्धि और शिक्षक जवाबदेही पर विशेष बल

गुमला: उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के निर्देशानुसार सोमवार को समाहरणालय सभाकक्ष में उप विकास आयुक्त दिलेश्वर महतो की अध्यक्षता में जिला शिक्षा...

“कॉफी विद एसडीएम” में इस बार सामाजिक सरोकारों पर होगा खुला संवाद, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भेजा गया आमंत्रण

झारखंड वार्तागढ़वा: गढ़वा सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार द्वारा पिछले छह महीनों से चलाया जा...

गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स ने नवपदस्थापित सिविल सर्जन और डीएस का किया अभिनंदन, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर हुई सार्थक चर्चा

गुमला: गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को नवपदस्थापित सिविल सर्जन डॉ. शंभु नाथ चौधरी और  सदर अस्पताल...