नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने उन कंपनियों को बड़ी चेतावनी दी है जो अपने पेय पदार्थों और एनर्जी ड्रिंक्स में ‘ORS’ शब्द का इस्तेमाल कर रही थीं। कोर्ट ने साफ कहा कि जनता के स्वास्थ्य के मामले में किसी भी तरह का जोखिम नहीं लिया जा सकता। इसलिए, इस तरह के प्रोडक्ट्स पर लगी रोक जारी रहेगी और इस फैसले में कोई ढील नहीं दी जाएगी।
FSSAI के आदेश को कोर्ट का समर्थन
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने हाल ही में आदेश जारी किया था कि कोई भी कंपनी अपने ड्रिंक में ORS शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकती, जब तक वह उत्पाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार असली ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन न हो। FSSAI का मानना है कि कंपनियों द्वारा ORS नाम का इस्तेमाल करना उपभोक्ताओं को भ्रमित करने और उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने जैसा है।
डॉ. रेड्डीज की याचिका खारिज
यह मामला डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज के उत्पाद Rebalanz VITORS से जुड़ा है। कंपनी ने FSSAI के 14 और 15 अक्टूबर के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान कंपनी ने कहा कि वह अब इस नाम से नए बैच नहीं बना रही है और नाम बदलने के लिए तैयार है, लेकिन जो स्टॉक बाजार में पहले से मौजूद है उसे बेचने की अनुमति दी जाए।
कोर्ट ने दी कड़ी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने दलील दी कि इस तरह के प्रोडक्ट्स लोगों को गुमराह कर सकते हैं और स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकते हैं। इस पर सहमति जताते हुए जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि, “यह स्वास्थ्य का संवेदनशील मामला है, किसी भी तरह का समझौता संभव नहीं।”
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि कंपनी चाहे तो नाम बदलने और बचे हुए स्टॉक के संबंध में FSSAI के सामने अपना पक्ष रख सकती है, लेकिन बाजार में ऐसे उत्पाद बेचने की इजाज़त अदालत नहीं देगी।
न्यायालय का सख्त संदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जन स्वास्थ्य सर्वोपरि है, और ऐसी किसी भी गतिविधि को मंजूर नहीं किया जा सकता जो उपभोक्ताओं को गुमराह करे या उनकी सेहत को खतरे में डाले।
‘ORS’ नाम से बेचे जा रहे पेय पर रोक बरकरार, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं












