रांची/डेस्क :– झारखंड में पारा शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वर्तमान परिस्थिति में पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) का स्थायीकरण संभव नहीं है। पारा शिक्षकों के स्थायीकरण के मामले को झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है। विभाग ने भवनाथपुर के भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही के अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में इसे स्पष्ट किया है।
विभाग ने पारा शिक्षकों को वेतनमान देने में कठिनाइयों को स्पष्ट करते हुए कहा कि इनका चयन संबंधित विद्यालय की ग्राम शिक्षा समिति द्वारा आरक्षण के प्रविधान के बिना किया गया है। वेतनमान लागू करने के लिए पद सृजन आवश्यक है। पद सृजन के लिए रोस्टर का अनुपालन आवश्यक है।
पारा शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली गठित
झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा सुनील कुमार यादव एवं अन्य बनाम राज्य सरकार के मामले को भी खारिज कर दिया गया था। इसके विरुद्ध वादी पारा शिक्षकों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गई थी, जिसमें पारित न्यायादेश में भी इन्हें अंतरिम राहत नहीं दी गई। न्यायालय ने पारा शिक्षकों के स्थायीकरण से संबंधित 13 याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
बता दें कि राज्य सरकार ने पारा शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली गठित की है, जिसके तहत इनके टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों के मानदेय में एकमुश्त 50 प्रतिशत तथा गैर टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों के मानदेय में 40 प्रतिशत की वृद्धि की गई। साथ ही आकलन परीक्षा उत्तीर्ण करने पर गैर टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों के अतिरिक्त 10 प्रतिशत मानदेय बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। अब पारा शिक्षक स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं।