नई दिल्ली: उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराए गए भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उसे जमानत दी गई थी। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने सेंगर को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की। सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने पक्ष रखा और हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए।
क्या है पूरा मामला?
वर्ष 2017 में उन्नाव की एक नाबालिग लड़की ने तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था। मामला सामने आने के बाद देशभर में भारी आक्रोश देखने को मिला था। जांच CBI को सौंपी गई और लंबी सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट से मिली थी राहत
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर की सजा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए उसे सशर्त जमानत दे दी थी और कहा था कि जब तक अपील लंबित है, तब तक उसकी सजा निलंबित रहेगी। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कई संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन किया और फैसले को पीड़िता के साथ अन्याय बताया।
दूसरी ओर पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत मामले में सेंगर को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके चलते वह अब भी जेल में ही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। शीर्ष अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यह मामला बेहद गंभीर है और दोषी को सजा निलंबन का लाभ देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पीड़िता नाबालिग थी और अपराध की प्रकृति को देखते हुए सजा पर रोक उचित नहीं है।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को चार हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। अब इस हाई-प्रोफाइल मामले में अगली सुनवाई के बाद यह तय होगा कि सेंगर को राहत मिलेगी या उसे फिर से जेल में रहना होगा।














