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गरीबों को बड़ी राहत: सुप्रीम कोर्ट ने जारी की नई एसओपी, अब सरकार दिलाएगी जमानत की राशि

On: October 19, 2025 9:53 AM
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नई दिल्लीः दिवाली से पहले देश के गरीब और आदिवासी कैदियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की है, जो जमानत मिलने के बावजूद पैसे न होने के कारण जेल में बंद हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों में सरकार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के माध्यम से जमानत राशि उपलब्ध कराएगी।

दरअसल, करीब तीन साल पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तत्कालीन चीफ जस्टिस की मौजूदगी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि कई गरीब और आदिवासी जमानत मिलने के बावजूद सिर्फ इसलिए जेल में हैं क्योंकि वे जमानत की राशि नहीं भर पा रहे। राष्ट्रपति की इस बात के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और अब इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एस.सी. शर्मा की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र सिद्धार्थ लूथरा तथा एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी के सुझावों को शामिल करते हुए यह एसओपी तैयार की है। कोर्ट ने माना कि देशभर में हजारों विचाराधीन कैदी ऐसे हैं जो केवल आर्थिक अभाव के कारण जेलों में बंद हैं।

नई व्यवस्था के तहत अगर किसी कैदी को जमानत मिलने के सात दिन के भीतर रिहा नहीं किया जाता है, तो जेल प्रशासन DLSA सचिव को इसकी जानकारी देगा। इसके बाद सचिव एक अधिकारी को यह जांचने के लिए नियुक्त करेगा कि कैदी के पास बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि है या नहीं।

एक लाख रुपये तक भरेगा DLSA

अगर कैदी के पास पैसे नहीं हैं, तो जिला स्तर पर गठित अधिकार प्राप्त समिति पाँच दिनों के भीतर DLSA की सिफारिश पर जमानत राशि जारी करने का आदेश देगी।

DLSA एक लाख रुपये तक की जमानत राशि का भुगतान कर सकेगा।

अगर अदालत ने एक लाख रुपये से अधिक की जमानत राशि तय की है, तो DLSA अदालत में राशि घटाने के लिए आवेदन करेगा।

गरीब कैदियों की सहायता योजना के तहत जरूरत पड़ने पर 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त राशि भी न्यायालय के लिए उपलब्ध कराई जा सकती है।


न्याय तक सबकी पहुंच का संदेश

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को न्यायपालिका की “सबके लिए न्याय” की भावना की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। अदालत ने कहा है कि गरीबी किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधा नहीं बननी चाहिए।

इस नई व्यवस्था से देशभर में हजारों गरीब और आदिवासी कैदियों को दिवाली से पहले आज़ादी की रोशनी देखने का मौका मिल सकता है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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