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पटना: बिहार में पिछले 20 दिनों से लैंड सर्वे का काम जारी है। प्रदेश के बाहर रहने वाले काम धाम करने वाले लोग भारी संख्या में अपने-अपने गांव पहुंच गए हैं। ट्रेनों और बसों में भारी भीड़ हो रही है। बताया जा रहा है कि लगभग 45000 से अधिक गांव का सर्वे करना है और शुरू भी हो चुका है। इसी बीच सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की देखरेख में चल रहा सर्व अगले कुछ महीनो के लिए टाला जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ले सकते हैं ऐसा फैसला ।इसका कारण यह बताया जा रहा है कि फीडबैक मिल रहा है कि लोग फिलहाल इस सर्वेक्षण के लिए तैयार नहीं थे और उन्हें प्रक्रिया से परेशानी हो रही है और दूसरी ओर गठबंधन सरकार में शामिल प्रमुख घटक दल भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के नेता कयास लग रहे हैं कि सर्वे से आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है।

बता दें कि बिहार में 20 अगस्त से सर्वे का कार्य शुरू है।दरअसल राज्य सरकार ने जमीन से जुड़े विशेष सर्वेक्षण को इसलिए शुरू किया था कि भूमि विवाद और हिंसा को प्रदेश में खत्म किया जा सके।

सूत्रों के अनुसार बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता या मंत्री हों या फिर जेडीयू के नेता-मंत्री हों, सभी ने नीतीश कुमार को इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद जनता को जो समस्या हो रही है उससे अवगत कराया है. एक तरह का आक्रोश भी है लोगों में जिसके बारे में बताया गया है. अब फैसला नीतीश कुमार को करना है. हालांकि अभी तक इस पर आधिकारिक रूप से कोई बयान सामने नहीं आया है.

आपको बता दें कि ये जो सर्वे चल रहा है इसे लोग सही तो मान रहे हैं लेकिन इसको लेकर धरातल पर कई चीजों में कमियां पाई जा रही हैं. बिहार एक ऐसा राज्य है जहां पर जमीन के रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने के चलते कई बार कोई भी प्रोजेक्ट हो वह हमेशा लेट हो जाता है. ऐसे में जमीन सर्वे के तहत कागजात को दुरुस्त किया जाना जरूरी था.

गौरतलब हो कि आंध्र प्रदेश में जो जगनमोहन रेड्डी की सरकार थी तो उसने भी चुनावी साल में जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने की मुहिम शुरू की थी. इसका काफी ज्यादा राजनीतिक खामियाजा सत्ता से बाहर जाकर उठाना पड़ा. ऐसे में बिहार की एनडीए सरकार उस गलती को दोहराना नहीं चाहती है. ऐसे में अब बिहार में फैसला कब होगा और कैसे होगा यह सब कुछ नीतीश कुमार के ऊपर निर्भर करता है.

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