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सीएम का चेहरा नहीं मिल रहा है झारखंड में भाजपा को और अमित शाह कर रहे जीत का दावा: सुधीर कुमार पप्पू

On: July 21, 2024 3:06 PM
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जमशेदपुर: गृहमंत्री अमित शाह झारखंड पहुंचकर भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं परंतु भाजपा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा खोजने से नहीं मिल रहा है। भाजपा में एक अनार सौ बीमार की स्थिति है। वैसे तो भाजपा 20 सालों तक झारखंड की सत्ता में नहीं आ सकती है। भाजपा को 18 साल तक राज्य में शासन करने का मौका मिला क्या उपलब्धि रही सभी को मालूम है। बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री रह चुके हैं उनकी क्या उपलब्धि है यह जनता को मालूम है अब दोबारा जनता मौका देना नहीं चाहती है। समाजवादी चिंतक और अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने उक्त बातें कही है।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने झारखंड को नफरत में बदलने के लिए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्वकर्मा को नफरत फैलाने का काम दिया है। भाजपा के यह दोनों नेता आदिवासी गैर आदिवासी हिंदू मुस्लिम करने में लगे हैं जनता उनके चरित्र को भली-भांति जानती है। झारखंड में भाजपा के प्रभारी और सह प्रभारी दोनों झारखंड के स्थिति को नहीं समझ पा रहे हैं। मणिपुर में जो कुछ हुआ उसे घटना से राज्य के आदिवासी समाज काफी दुखी है और भाजपा से दूरी बना ली है। यही कारण है कि भाजपा के आदिवासी नेता भी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ना नहीं चाहते हैं उनको मालूम है कि आरक्षित सीट से चुनाव लड़ेंगे तो हार जाएंगे। बीते लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा समेत सभी आदिवासी नेता आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने वाले हार गए अब उन्हें डर सता रही है। दूसरी बात है कि झारखंड भाजपा में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर आपसी खींचतान चरम पर है। बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा का कोई जनाधार नहीं है आदिवासी समाज में भी दोनों अपेक्षित है । अब भाजपा नेतृत्व के लिए संकट है कि किस आदिवासी को या गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएं। लगता है भाजपा नेतृत्व कुछ कसरत करने के बाद नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी। जबकि इंडिया गठबंधन हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एकजुट है और भाजपा को पराजित करने के लिए सक्षम है।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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