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बोकारो:आदिवासी सेंगेल अभियान ने कुर्मी समर्थक आदिवासी नेताओं का किया पुतला दहन

On: October 2, 2025 7:47 AM
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बोकारो: आदिवासी सेंगेल अभियान की तरफ से तुपकाडीह चौक पर कुर्मी समर्थक आदिवासी नेताओं का पुतला दहन कर विरोध किया गया। जिसका नेतृत्व सेंगेल के बोकारो जिला संयोजक भीम मुर्मू ने किया।

मौके पर आदिवासी सेंगेल अभियान के बोकारो अध्यक्ष सह बोकारो जोनल हेड सुखदेव मुर्मू ने कहा कि 20 सितंबर 2025 को कुर्मी/महतो समाज ने” रेल टेका डहर छेका “आन्दोलन कर आदिवासी बनने का दावा किया। लेकिन कुर्मी/महतो किसी भी तरह से आदिवासी नही है।

वे आदिवासियों के हकमारी के लिए आदिवासी बनना चाहते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार भारत के राष्ट्रपति और संसद किसी को भी जाति को आदिवासी सूची में शामिल करने का अधिकार है। किन्तु इसके लिये एक संवैधानिक प्रक्रिया है। संताल हो, मुंडा, उरांव, खड़िया, पहाड़िया, भूमिज, बीरहोड़ आदि भारतीय संविधान में अनुसूचित जन जाति सूची 1950 के निर्माण के पूर्व भी आदिवासी ही थे। उनकी भाषा-संस्कृति, जीवन पद्धति और चरित्र बाकी लोगों से भिन्न था और अब भी है। बड़े दुर्भाग्य की बात है आज केवल आरक्षण लाभ के लिये कुछ जातियां आदिवासी सूची में शामिल होकर आदिवासियों के अधिकार और भाषा संस्कृति को नष्ट करने पर अमादा है। कुर्मी-महतो जाति के नेता और कार्यकर्ता इस मुहिम में शर्मनाक तरीके से जुटे हुए हैं। कुर्मी महतो जहाँ एक तरफ आदिवासी बनने की मांग करते हैं वहीं दूसरी तरफ आदिवासी आरक्षण (पेसा कानून, 1996) का विरोध जमीन में और संसद, विधान सभा में भी करते हैं। अतः एक जागरूक आदिवासी का यह अधिकार है कि ऐसे आदिवासी के शत्रु (कुर्मी महतो) का विरोध करें ताकि आदिवासियों की भावी पीढ़ी अपने अधिकारों और भाषा-संस्कृति से वंचित न हो जाये।

मौके पर झारखंड प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा ने कहा कि इन सबको समर्थन करने वाले झामुमो पार्टी को दोषी ठहराया। चूंकि वोट बैंक के राजनीतिक लोभ लालच में हस्ताक्षर कर झांसा देकर मणिपुर जैसे हिंसक हालत को आमंत्रित किया है। आदिवासी नेताओं में मुख्य रूप झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 8 फरवरी 2018 को 42 विधायक और 2 सांसद ने कुरमी महतो को आदिवासी बनाने का हस्ताक्षर कर कुर्मी महतो को आदिवासी बनाने का अनुशंषा कर केन्द्र को भेजा है,ऑक्सीजन भरा है। इसलिए आज हमलोगों ने माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित वर्तमान 28 आरक्षित आदिवासी विधायक बसंत सोरेन,लुइस मरांडी, हेमलाल मुर्मू, धनंजय सोरेन,स्टीफन मरांडी,आलोक सोरेन,जगत माझी,दीपक बिरुआ,निरल पुरती,दशरथ गगराई, विकास मुंडा,भूषण तिर्की,जिगा सुसारन होरो,रामसुर्य मुंडा, गणेश महली,सुखराम उरांव,शिल्पी नेहा तिर्की, रामेश्वर उरांव, परितोष सोरेन, संजीव सरदार,सोना राम सिंकू,सुदिप गुरिया, राजेश कच्छप,चमरा लिंडा,भूषण बारा,नमन विक्सल कोंगाड़ी, रामचंद्र सिंह एवं सामान्य सीट से दो आदिवासी विधायक बाबुलाल मरांडी ,कल्पना सोरेन और 42 विधायक ( चंपई सोरेन, योगेश्वर महतो, योगेन्द्र महतो,जय प्रकाश भाई पटेल,कुणाल षांड़गी,साधु चरण महतो, नागेन्द्र महतो, इरफान अंसारी,जीतू चरण राम,अमित कुमार,विकास मुंडा,निर्भय शाहबादी,जय प्रकाश वर्मा,दशरथ गगराई,अनंत ओझा,नारायण दास, रविन्द्र महतो,ताला मरांडी, चंद्र प्रकाश चौधरी,निर्माला देवी,शशि भूषण सामड,बिरंची नारायण,प्रकाश राम,प्रदीप यादव, कुशवाहा शिवपूजन मेहता,पीसी मंडल,राज सिन्हा, आलोक चौरसिया,गणेश गंझू ,राज कुमार यादव एवं अन्य) और दो सांसद विद्युत वरण महतो,रामटहल चौधरी का पुतला दहन किया। हेमंत सोरेन होश आओ, हेमंत सोरेन मुर्दाबाद, कुरमी महतो को आदिवासी बनाना बंद करो। कुर्मी महतो को आदिवासी बनाने वाले विधायक/सांसद मुर्दाबाद।
हेमंत सोरेन चुप्पी तोड़ो, स्पष्टीकरण दो, आदिवासी समाज के साथ हो कि कुर्मी महतो के समर्थन में हों। नहीं तो गद्दी छोड़ो।
आदिवासी MLA/MP यदि आज आदिवासी समाज बचाने में सहयोग नही करते है तो आदिवासी समाज उनका आवास घेराव करेंगे।

पुतला दहन कार्यक्रम में झारखंड प्रदेश संयोजक जयराम सोरेन,गोपीनाथ मुर्मू, आनंद टुडू, सरस्वती हांसदा, अनिता किस्कू, सावित्री मुर्मू,उपेन्द्र हेम्बरम,राखो किस्कू,पीताम्बर सोरेन,बुटान बेसरा,रोहन मुर्मू, विरेन्द्र सोरेन, सोनाराम मुर्मू,नागेश्वर मुर्मू,पानबाबू हांसदा,संजय किस्कू, मोतीलाल सोरेन,सुकुरमनी मार्डी,बरनी मुर्मू,राजमुनी सोरेन,संजोती किस्कू,बाहामुनी बास्के,पनोवा टुडू, अंजलि हेम्बरम,सिमोती सोरेन,सुमन हांसदा, शांति सोरेन,बिनोती हेम्बरम, सुनिता मार्डी,पींटू किस्कू, सुशिला सोरेन आदि दर्जनों महिला पुरुष शामिल थे।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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