ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह मॉरीशस को सौंपने पर जताई सहमति, भारत ने सराहा

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Chagos Islands: ब्रिटेन ने 22 मई को विवादित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने कहा कि अमेरिकी बलों द्वारा संचालित यह बेस ब्रिटेन के लिए महत्वपूर्ण है और हमारी सुरक्षा के लिए नींव का काम करेगा।
समझौते के तहत ब्रिटेन, मॉरीशस को कम से कम 99 वर्षों के लिए आधार को वापस लीज पर लेने के लिए प्रति वर्ष औसतन 101 मिलियन (136 मिलियन डॉलर) पाउंड का भुगतान करेगा।
इस सौदे को ऐतिहासिक बताते हुए मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेते हुए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि भारत की लगातार कूटनीतिक सहायता और भरोसे ने इस संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाया।
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस समझौते को लंबे समय से चले आ रहे चागोस विवाद का शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित समाधान बताया।
ब्रिटिश साम्राज्य के अंतिम अवशेषों में से एक, चागोस द्वीप समूह 1814 से यूके के नियंत्रण में रहा है। ब्रिटेन ने 1965 में मॉरीशस, जो एक पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश था, से द्वीपों को अलग कर दिया था। ब्रिटेन ने 1960 और 1970 के दशक में द्वीपों से लगभग 2,000 लोगों को बेदखल कर दिया ताकि अमेरिकी सेना डिएगो गार्सिया बेस का निर्माण कर सके, जिसने वियतनाम से इराक और अफगानिस्तान तक अमेरिकी अभियानों में मदद की है। इसमें परमाणु पनडुब्बियों, विमान वाहक और बड़े विमानों को समायोजित करने की सुविधाएं हैं।