चंदन की लकड़ी से शरीर जलाने पर केवल शरीर का उद्धार होता है,आत्मा का नहीं : जीयर स्वामी
श्री स्वामी जी ने कहा कि अपने परिवार के साथ रहें। उनका भरण-पोषण भी करें लेकिन जीवन भर उसमें अटके-भटकें नहीं। जैसे रेलवे स्टेशन पर बैठा यात्री, स्टेशन की सुख-सुविधा का उपयोग करे, लेकिन ट्रेन आने पर उस सुविधा को त्यागकर ट्रेन में बैठ जाएं। इसलिए मानव का धर्म है कि परिवार रूपी प्लेटफार्म का अनासक्त भाव से सदुपयोग करे, ताकि जीवन यात्रा के क्रम में यह बाधक नहीं बने।
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