रिम्स:हेल्थमैप और मेडाल से संबंधित वित्तीय लेनदेन की सीबीआई जांच हो,भाजपाई अमर बावरी बोले..!

On: April 20, 2025 1:41 AM

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रांची: रिम्स डायरेक्टर डॉक्टर राजकुमार को हटाने का मामला तूल पकड़ता ही जा रहा है। उनको हटाने के मंशे पर झारखंड बीजेपी के प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी जदयू नेता सरयू राय सवाल उठा चुके हैं। बाबूलाल मरांडी ने यहां तक कह दिया है कि भ्रष्टाचार छिपाने के लिए उन्हें हटाया गया है। अब पूर्व प्रतिपक्ष नेता अमर बावरी ने भी गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि हेल्थमैप और मेडाल जैसी आउटसोर्स कंपनियों पर महालेखाकार (एजी) की रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताओं की बात सामने आई है। फर्जी बिल, डॉक्टरों के फर्जी हस्ताक्षर और अन्य वित्तीय गड़बड़ियों का स्पष्ट उल्लेख है। इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्री इन कंपनियों के फर्जी बकायों के भुगतान का दबाव निदेशक पर बना रहे थे। इतना ही नहीं, कैबिनेट से स्वीकृत एमआरआई मशीन के टेंडर को निरस्त कर अपने पसंदीदा ठेकेदार को टेंडर देने के लिए भी दबाव डाला जा रहा था। उन्होंने रिम्स निदेशक को पद से हटाने की प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच कराने, हेल्थमैप और मेडाल से संबंधित सभी वित्तीय लेनदेन की सीबीआई जांच कराने, रिम्स की सेन्ट्रल लैब के निर्माण में हो रही देरी की भी स्वतंत्र जांच कराने, इस पूरे मामले का विवरण साझा करने की मांग की।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने शनिवार को बेरमो में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता के लिए इलाज का सबसे बड़ा केंद्र रिम्स (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) आज गहरे भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है। रिम्स गरीबों का इलाज करने वाला प्रमुख संस्थान है, लेकिन दुर्भाग्यवश वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री की दखलअंदाजी और दबाव के कारण यह संस्था भी भ्रष्टाचार की आग में झोंकी जा रही है। बाउरी ने आरोप लगाया कि रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार को बिना पूर्व सूचना, कारण और किसी जांच के पद से हटाया जाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकार ईमानदार अधिकारियों को संस्थागत भ्रष्टाचार के खिलाफ काम नहीं करने देना चाहती। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. राजकुमार के खिलाफ आज तक किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है और उनके पिछले 14 महीने के कार्यकाल को ईमानदारी व दक्षता का उदाहरण माना जाता रहा है।
उन्होंने बताया कि हेल्थमैप और मेडाल जैसी आउटसोर्स कंपनियों पर महालेखाकार (एजी) की रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताओं की बात सामने आई है। फर्जी बिल, डॉक्टरों के फर्जी हस्ताक्षर और अन्य वित्तीय गड़बड़ियों का स्पष्ट उल्लेख है। इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्री इन कंपनियों के फर्जी बकायों के भुगतान का दबाव निदेशक पर बना रहे थे। इतना ही नहीं, कैबिनेट से स्वीकृत एमआरआई मशीन के टेंडर को निरस्त कर अपने पसंदीदा ठेकेदार को टेंडर देने के लिए भी दबाव डाला जा रहा था। उन्होंने रिम्स निदेशक को पद से हटाने की प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच कराने, हेल्थमैप और मेडाल से संबंधित सभी वित्तीय लेनदेन की सीबीआई जांच कराने, रिम्स की सेन्ट्रल लैब के निर्माण में हो रही देरी की भी स्वतंत्र जांच कराने, इस पूरे मामले का विवरण साझा करने की मांग की। उन्होंने चेताया कि यदि रिम्स जैसे प्रमुख संस्थान को इस प्रकार राजनीतिक दबाव में चलाया गया, तो इसका खामियाजा सीधे गरीब मरीजों को उठाना पड़ेगा।