रायपुर: छत्तीसगढ़ में आज एक ऐतिहासिक और सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को दंडकारण्य क्षेत्र में 208 नक्सलियों ने सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं। इनमें कई बड़े कमांडर भी शामिल हैं। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को संविधान की कॉपी और गुलाब का फूल दिया गया।आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने कुल 153 हथियार पुलिस के हवाले किए हैं। यह अब तक का दंडकारण्य क्षेत्र का सबसे बड़ा सरेंडर ऑपरेशन माना जा रहा है। सरेंडर करने के लिए सभी नक्सलियों को बस के जरिए पुलिस ग्राउंड लाया गया था। जबकि एक करोड़ के इनामी नक्सली रुपेश को कार से कार्यक्रम स्थल तक लाया गया।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो दिनों में कुल 258 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ के 197 और महाराष्ट्र के 61 नक्सली शामिल हैं। इस घटनाक्रम के बाद अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र लगभग पूरी तरह नक्सल मुक्त हो गए हैं। अब केवल दक्षिण बस्तर में थोड़ी बहुत गतिविधि शेष है, जिस पर जल्द ही नियंत्रण की उम्मीद जताई जा रही है।
सरकार की मेहनत रंग लाई
छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार की साझा रणनीति के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार अभियान चलाया जा रहा था। आत्मसमर्पण के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे “ऐतिहासिक क्षण” बताया। उन्होंने कहा कि “अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर नक्सल मुक्त हो चुके हैं, और सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक पूरे देश को नक्सलवाद से मुक्त करना है।”
मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने भी सरेंडर को शांति और विकास की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि “नक्सलवाद हर मोर्चे पर हार रहा है, अब विकास की रोशनी सबसे दूर के गांवों तक पहुंचेगी।”
सरेंडर के साथ सौंपे गए हथियार
नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के दौरान कई आधुनिक हथियार सौंपे, जिनमें शामिल हैं —
AK-47 राइफल: 19
SLR राइफल: 17
INSAS राइफल: 23
INSAS LMG: 01
.303 राइफल: 36
कार्बाइन: 04
BGL लॉन्चर: 11
12 बोर/सिंगल शॉट: 41
पिस्टल: 01
इनमें AK-47 और INSAS जैसे हथियार सबसे घातक माने जाते हैं। इनके सरकारी कब्जे में आने से सुरक्षा बलों को बड़ी राहत मिली है।
अबूझमाड़ से बस्तर तक बदले हालात
अबूझमाड़ क्षेत्र छत्तीसगढ़ का सबसे घना और दुर्गम इलाका है, जो लंबे समय तक नक्सलियों का मुख्य ठिकाना रहा। वर्षों तक यहां पुलिस या प्रशासन की पहुंच सीमित थी। लेकिन हाल के वर्षों में सरकार की सख्त नीति और सरेंडर पॉलिसी ने हालात बदल दिए हैं।
आज यह क्षेत्र लगभग नक्सल मुक्त हो गया है। यहां अब सड़क, स्कूल, अस्पताल, और बिजली जैसी योजनाओं पर तेजी से काम होगा। लोग अब बिना डर के जीवन जी सकेंगे।
सरेंडर के बाद नई जिंदगी की शुरुआत
सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किया है।
इसमें उन्हें —
आर्थिक सहायता दी जाएगी ताकि वे नया व्यवसाय या रोजगार शुरू कर सकें। कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा जैसे खेती, बढ़ईगिरी, या अन्य छोटे व्यवसायों के लिए। परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी ताकि उन्हें किसी प्रकार का खतरा न हो। शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे उनके बच्चे सामान्य जीवन जी सकें।
पहले भी कई नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट चुके हैं और आज खुशहाल जीवन बिता रहे हैं। इस कार्यक्रम के जरिये सरकार नक्सलवाद को जड़ से मिटाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
आज का दिन छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक मील का पत्थर बन गया है।
जहां कभी गोलियों की गूंज थी, अब वहां शांति और विकास की नई सुबह हो रही है। दंडकारण्य का यह सरेंडर “लाल आतंक” के अंत की शुरुआत साबित हो सकता है।














