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मेराल (गढ़वा): बंका रोड, मेराल अवस्थित एस जी एन मॉडर्न किंडर गार्टेन स्कूल के बच्चों ने हर्षोल्लास पूर्वक हर वर्ष की भांति विद्यालय में प्रभात संगीत का गायन कर मनाया।

प्रभात संगीत दिवस संपूर्ण विश्व में चौदह सितंबर को मनाया जाता है। यह संगीत आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी द्वारा विश्व के विभिन्न भाषाओं में पांच हजार अठारह संगीत रचित हैं। आज इस विद्यालय में आई लव दिस टाइनी ग्रीन आइजलैंड,ऋषभ कुमार द्वारा दिस लाइफ इस फॉर हिम,वैभव राज संगच्छध्वम संवद्ध्व,रूपांजलि,मधु,संजना, अर्पिता द्वारा जमीं आसमां तुम्हारा,तुम्हारा जहां सारा तथा चाणक्य देव द्वारा दुनिया वालों तकते रहो हम तो नजरों को नजराना दिए गए आदि गीत प्रस्तुत किए गए।

विद्यालय के निदेशक धर्मेंद्र देव ने संबोधित करते हुए बताया कि प्रभात संगीत व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन में प्रगति  का बहुत महत्वपूर्ण माध्यम है। खासकर विद्यार्थियों को पढ़ाई शुरू करने से पूर्व एक प्रभात संगीत का गायन तथा ईश्वर प्रणिधान कर पढ़ाई करने पर तीव्र गति से मानसिक एवम आध्यात्मिक विकास होता है।

हमारा मन स्थूल से सूक्षमत्व प्राप्त करता है।जिससे विषय वस्तु को समझ पाना,याद रखना सबकुछ आसान हो जाता है। ऐसा करने से हम अत्यधिक समय पढ़ाई कर सकेंगे। मानसिक एकाग्रता बनी रहेगी।संगीत में भाव,भाषा,छंद और सुर की प्रधानता होती है। प्रभात संगीत नंदन विज्ञान है। नंदन विज्ञान का अर्थ है दूसरों को आनंद देना और दूसरों से आनंद लेना। मनुष्य संसारिक वस्तुओं (माया) के अंधकार में सोया है।प्रभात संगीत से यह अंधकार  हटता है तथा स्वर्णिम विहान आता है। कठोर से कठोर व्यक्ति भी यदि सही ढंग से प्रभात संगीत गाए तो उनमें भी आध्यात्मिक जागरण आ जाता है। नंदन विज्ञान से हम स्थूलता से सूक्ष्मता की ओर बढ़ते हैं।इसका उपयोग समाज की प्रगति के लिए होना चाहिए।