---Advertisement---

दिल्ली में सीएम हेमंत सोरेन की बीजेपी के शीर्ष नेता से मुलाकात, झारखंड में नए राजनीतिक समीकरण पर चर्चा तेज

On: December 2, 2025 8:55 AM
---Advertisement---

रांची: बिहार में एनडीए की जोरदार जीत के बाद अब राजनीतिक फोकस झारखंड की ओर तेजी से खिसकता दिख रहा है। बाहर से भले ही हेमंत सोरेन सरकार स्थिर और निश्चिंत नजर आती हो, लेकिन भीतरखाने नए राजनीतिक समीकरणों की हलचल साफ महसूस की जा सकती है।

दिल्ली में गुप्त बैठक

विश्वसनीय राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पहले दिल्ली में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की भाजपा के एक शीर्ष नेता से बेहद गोपनीय मुलाकात हुई। चर्चा सिर्फ औपचारिक नहीं बताई जाती, बल्कि सूत्र दावा करते हैं कि दोनों पक्षों के बीच साथ आने पर शुरुआती सहमति भी बन चुकी है।

डिप्टी सीएम पद को लेकर भी बातचीत आगे बढ़ने की खबर है। इस पद के संभावित दावेदारों में भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी और झामुमो के अनुभवी नेता चम्पाई सोरेन के नामों पर विचार चल रहा है।

बहुमत पुख़्ता… फिर भी उठापटक क्यों?

दिलचस्प यह है कि झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन को फिलहाल बहुमत का कोई खतरा नहीं। जरूरत पड़ने पर झामुमो अकेले भी सरकार को बचाए रख सकता है। कांग्रेस भी भाजपा को रोकने के लिए समर्थन वापस लेने की स्थिति में नहीं है। इसके बावजूद राजनीतिक गतिविधियां इसलिए तेज हैं क्योंकि सत्ता का खेल सिर्फ संख्याओं से तय नहीं होता है, परिस्थितियां और मौके भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।

आर्थिक दबाव बढ़ा, केंद्र से तालमेल की जरूरत

पिछले कुछ महीनों में हेमंत सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। चुनावी वादों खासकर मंईयां सम्मान योजना और धान के समर्थन मूल्य को लागू करने में वित्तीय संकट बड़ी बाधा बन रहा है। केंद्र की मदद के बिना इन वादों पर आगे बढ़ना कठिन है। ऐसे में भाजपा के साथ समझौता झामुमो के लिए एक व्यावहारिक विकल्प बन सकता है।

ऐसे में झामुमो के साथ संभावित गठबंधन भाजपा को नई ऊर्जा दे सकता है और यह संदेश भी जाएगा कि पार्टी राज्य के प्रमुख सामाजिक समूहों के साथ साझेदारी को तैयार है।

सोरेन और मरांडी की खामोशी- संकेत या संयोग?

झारखंड की राजनीति में आमतौर पर दो ध्रुव माने जाने वाले हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी काफी समय से असामान्य रूप से शांत हैं। न कोई तीखी बयानबाज़ी, न राजनीतिक तकरार। जानकारों का मानना है कि यह ‘रणनीतिक चुप्पी’ किसी बड़े बदलाव का संकेत हो सकती है।

राजनीति निर्णायक मोड़ पर, किसी भी वक्त बड़ा फैसला संभव

राज्य की राजनीति तेज़ी से बदलते दौर से गुजर रही है। ऐसा महसूस हो रहा है कि झारखंड एक नए राजनीतिक अध्याय की देहरी पर खड़ा है। जहां गठबंधन बदल सकते हैं, सत्ता समीकरण नए सिरे से बन सकते हैं और राज्य की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को लेकर नई दिशाएं तय हो सकती हैं।

फिलहाल शीर्ष स्तर पर बातचीत तेज है और राजनीतिक गलियारों में बदलाव की आहट साफ सुनाई दे रही है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

Join WhatsApp

Join Now

और पढ़ें

प०बंगाल:सीएम ममता का आरोप डेढ़ करोड़ मतदाताओं का नाम हटाने का दबाव, एक भी पात्र मतदाता का नाम कटा तो वह अनिश्चितकालीन धरना पर बैठेगी

झारखंड में कड़ाके की ठंड, कई जिलों का न्यूनतम तापमान 9 डिग्री से नीचे; कांके का पारा 3.2 डिग्री

बिरसा मुंडा तीरंदाजी एकेडमी सिल्ली के खिलाड़ी हैदराबाद रवाना

सिल्ली मुरी में अंचल अधिकारी के निर्देश पर प्रमुख चौक-चौराहों पर अलाव जलाए जा रहे हैं, ग्रामीणों ने की सराहना

जमशेदपुर:ऑल झारखंड संगीत प्रतियोगिता में साउथ प्वाइंट स्कूल,पटमदा की शिक्षिका एवं छात्रा का उत्कृष्ट प्रदर्शन

रेल मंत्री से मिले संजय सेठ, नई ट्रेनें चलाने और फेरा बढ़ाने का किया आग्रह