रांची :- झारखंड विधानसभा ने प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल पर लगाम लगाने के लिए बीते गुरुवार को एक विधेयक को मंजूरी दे दी। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता विपक्ष ने विधेयक की प्रतियां फाड़कर इसे एक ‘काला कानून’ करार दिया। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने ‘झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम एवं निवारण) विधेयक, 2023’ पेश किया, जिसका उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकना है। अधिकारियों ने कहा कि कानून में 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत किए गए प्रावधान गैर-जमानती और गैर-समझौता योग्य हैं और पुलिस बिना किसी जांच के प्राथमिकी दर्ज करने और पूर्व अनुमति के बिना गिरफ्तारी कर सकेगी। भाजपा के नेतृत्व में विपक्ष ने इस कानून को कठोर बताते हुए विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की। आलम ने विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि परीक्षाओं में प्रश्न पत्र लीक और नकल जैसे अनुचित तरीकों को रोकने के लिए एक सख्त कानून की जरूरत है ताकि ऐसा करने वालों के मन में डर पैदा हो। भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा, “जल्दबाजी में पेश किया गया यह विधेयक इतिहास में एक काले कानून के रूप में जाना जाएगा। कानून में किए गए प्रावधानों का असर अंततः छात्रों पर पड़ेगा।”
भाजपा के एक अन्य विधायक अमर बाउरी ने कहा, “झारखंड में प्रश्न पत्र लीक का शायद ही कोई मुद्दा है। यहां परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं द्वारा अनियमितताएं की जाती हैं लेकिन कानून के प्रावधान उन्हें संरक्षण प्रदान करते हैं। छात्र संगठन और मीडिया अनियमितताओं को उठाने से डरेंगे क्योंकि उन्हें सलाखों के पीछे डाला जा सकता है। प्रावधान बहुत कठोर हैं।”