कोर्ट संसद से बने कानून पर रोक नहीं लगा सकती… वक्फ संशोधन एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र

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एजेंसी: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन बिल, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए एक हलफनामा दाखिल किया है।सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान पर रोक लगाए जाने का विरोध करती है। केंद्र ने यह तर्क दिया कि संवैधानिक अदालतों द्वारा किसी वैधानिक प्रावधान पर सीधे या परोक्ष रूप से रोक लगाने की परंपरा नहीं रही है। ऐसे मामलों में अदालतें अंतिम निर्णय तक इंतज़ार करती हैं।

सरकार का यह भी कहना है कि ‘वक्फ-बाय-यूजर’ को वैधानिक संरक्षण न दिए जाने का यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि मुस्लिम समुदाय का कोई भी व्यक्ति वक्फ स्थापित नहीं कर सकता। हलफनामे में यह आरोप भी लगाया गया है कि एक “जानबूझकर, उद्देश्यपूर्ण और भ्रामक” कथा गढ़ी गई है, जो यह गलत धारणा फैलाती है कि जिन वक्फों के पास दस्तावेज़ी साक्ष्य नहीं हैं, वे प्रभावित होंगे। सरकार के अनुसार यह पूरी प्रक्रिया दुर्भावनापूर्ण तरीके से की गई है और इसका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना है।

वक्फ 8 अप्रैल, 2025 तक विधिवत रूप से पंजीकृत होना चाहिए: केंद्र

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में स्पष्ट रूप से कहा कि अदालत के समक्ष प्रस्तुत कुछ दावे न केवल झूठे हैं, बल्कि उन्हें जानबूझकर अदालत को गुमराह करने की नीयत से पेश किया गया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम की धारा 3(1)(आर) के तहत ‘वक्फ-बाय-यूजर’ को मान्यता प्राप्त करने के लिए किसी ट्रस्ट डीड या अन्य दस्तावेजी प्रमाण की अनिवार्यता नहीं रखी गई है। बल्कि, इस धारा के अंतर्गत केवल एक आवश्यक शर्त यह रखी गई है कि ऐसा वक्फ 8 अप्रैल, 2025 तक विधिवत रूप से पंजीकृत होना चाहिए।

2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया और वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की। केंद्र ने अधिनियम के किसी भी प्रावधान पर रोक लगाने का विरोध करते हुए कहा कि कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी और मामले पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगी।

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक केंद्र ने कहा कि धारा 3(1)(आर) के प्रावधान के तहत ‘वक्फ-बाय-यूजर’ के रूप में संरक्षित होने के लिए संशोधन में या उससे पहले भी किसी ट्रस्ट, डीड या किसी दस्तावेजी सबूत पर जोर नहीं दिया गया है। प्रावधान के तहत संरक्षित होने के लिए एकमात्र अनिवार्य आवश्यकता यह है कि ऐसे ‘वक्फ-बाय-यूजर’ को 8 अप्रैल, 2025 तक पंजीकृत होना चाहिए, क्योंकि पिछले 100 वर्षों से वक्फों को नियंत्रित करने वाले क़ानून के अनुसार पंजीकरण हमेशा अनिवार्य रहा है।

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