रचनात्मक लेखन कार्यशाला: प्रसिद्ध कहानीकार विनोद यादव ने कहानी और संस्मरण के बीच के अंतर को समझाया

ख़बर को शेयर करें।

झारखंड वार्ता न्यूज़

रांची:- ‘रचनात्मक लेखन कार्यशाला’ के तीसरे दिन पहले सत्र की कक्षा में प्रसिद्ध कहानीकार विनोद यादव ने कहानी और संस्मरण के बीच के अंतर को समझाया। उन्होंने कहा कि कहानी में कल्पनाओं से रचना की जाती है। संस्मरण में कल्पनाएं नहीं होती, वहां वास्तविक घटनाओं का जिक्र होता है। वर्तमान में संस्मरण को कहानी की शक्ल में लिखा जाने लगा है। जो संस्मरण में घटित नहीं हो पाता उसे कहानियों के जरिए घटित करने की कला ही यह नई विधा है।
वरिष्ठ उपन्यासकार अलका सरावगी ने उपन्यास लेखन की कक्षा में कहा कि कहानी यथार्थ होते हुए भी कल्पना के माध्यम से रची जाती है। कहानी का मूल तत्व किस्सागो होता है।
उन्होंने महात्मा गांधी पर लिख रही नये उपन्यास के कुछ दृश्य भी सुनाए और अपनी रचना प्रक्रिया भी प्रतिभागियों से साझा की।
इस कक्षा में प्रतिभागियों ने उपन्यास और कहानी लिखने की आवश्यक कला के बारे में अपने जिज्ञासा भरे सवाल पूछे।
मुंबई के पटकथा लेखक मिथिलेश प्रियदर्शी ने कहानी की संरचना पर प्रतिभागियों से जरूरी जानकारी साझा की। उन्होंने एक कहानी में किरदारों की रचना,उनकी यात्रा,उनके लक्ष्य और कहानी के अंत पर विशेष बातचीत की।
सिनेमा कार्यशाला में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली के एल्युमिनाई और वरिष्ठ नाट्यकर्मी संजय लाल ने एक्टिंग की कक्षा में समानांतर सिनेमा की फिल्मों को दिखाकर उन फिल्मों के किरदारों की एक्टिंग पर प्रतिभागियों से विशेष चर्चा की।
उन्होंने प्रतिभागियों को मैथड एक्टिंग करने के गुर सिखाए|इस दौरान प्रतिभागियों ने कुछ फिल्मों के दृश्य के अभिनय का अभ्यास भी किया।
समानांतर सिनेमा की कक्षा में राहुल सिंह ने उसके विकास और उद्भव के बारे में बात की। कहा, समानांतर सिनेमा की फिल्मों का विषय आम आदमी के जीवन का सच दिखाता है।
समानांतर सिनेमा बनाने का एक कारण उस दौर की सामाजिक संस्कृति और भाषा का वास्तविक चित्रण किया जाना था। उन्होंने इस दौरान मृणाल सेन की फिल्म मृग्या दिखाकर प्रतिभागियों से चर्चा भी की।
झारखण्ड के डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता दीपक बाड़ा ने कहा कि शोषण करने वाले लोग मेनस्ट्रीम सिनेमा बना रहे हैं। शोषित समाज जब सिनेमा बनाता हैं, उसे ही समानांतर सिनेमा कहा जाता है।
समानांतर सिनेमा का विषय हमेशा यथार्थ पर आधारित होता है। उन फिल्मों में हमेशा समाज को लेकर एक सामाजिक टिप्पणी होती है।
उन्होंने डॉक्यूमेंट्री निर्माण से जुड़ी बारीकियां प्रतिभागियों से साझा की। अनुवाद कार्यशाला की पहली कक्षा प्रो.राजेश ने ली।
उन्होंने कहा कि अनुवाद के जरिए एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति की यात्रा की जाती है, इसलिए अनुवादक को दोनों संस्कृति की जानकारी जरूरी है।
उन्होंने अनुवाद की मूल भाषा यानी स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा,उनके मूल तत्व,प्रकार और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने प्रतिभागियों से अनुवाद का कुछ अभ्यास भी कराया।
रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के डायरेक्टर रणेंद्र ने कहा कि सभी कहानियों को तार्किक नजरिए से देखने की जरूरत है।

Video thumbnail
मैं भी यहीं रहना चाहता हूं...कब्र के सामने फूट-फूट कर रोया पिता; वीडियो देखकर रो देंगे आप भी
02:04
Video thumbnail
रूद्रप्रयाग में अचानक सड़क पर उतर गया हेलीकॉप्टर, कार से हो गई टक्कर, वीडियो वायरल ‌
00:54
Video thumbnail
भारतीय मजदूर संघ का युवा कार्यकर्ता सम्मेलन,मजदूर आंदोलन को राष्ट्रभक्ति से जोड़ने का संकल्प
04:01
Video thumbnail
विश्व पर्यावरण दिवस एवं गंगा दशहरा की पूर्व संध्या पर सहीजना छठ घाट पर हुई भव्य गंगा आरती
03:27
Video thumbnail
चिन्नास्वामी स्टेडियम में मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत, सामने आया भयावह वीडियो
01:48
Video thumbnail
सिरम टोली रैंप के खिलाफ आदिवासी संगठन सड़क पर, कई जगहों पर बंद का असर शुरू,जमकर नारेबाजी
01:37
Video thumbnail
राहुल गांधी ने जूते पहनकर दी इंदिरा गांधी को पुष्पांजलि, बीजेपी बोली- यह इटली की संस्कृति
01:16
Video thumbnail
गढ़वा : होटल में संदिग्ध गतिविधियों का खुलासा,मुख्य तीन आरोपी को भेजा जेल
01:48
Video thumbnail
मनिका प्रखंड कार्यालय में एसडीओ ने की मनरेगा योजनाओं की समीक्षा बैठक, दिए निर्देश
01:44
Video thumbnail
जिले में आगामी चुनावों में तमाम पार्टियों के लिए ऐसे बनेगी चुनौती टाइगर जयराम महतो की JLKM पार्टी
05:09
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Related Articles

- Advertisement -

Latest Articles