संताली को प्रथम राजभाषा की मांग:आदिवासी सेंगेल अभियान का डीसी ऑफिस पर जोरदार धरना,प्रदर्शन,नारेबाजी

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जमशेदपुर: संताली भाषा को राज्य की प्रथम राजभाषा बनाने की मांग को लेकर पिछले कई माह से आंदोलनरत आदिवासी सेंगेल अभियान आंदोलन और उग्र होता जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को जिला समाहरणालय परिसर में आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं ने धरना और जोरदार प्रदर्शन नारेबाजी की। साथ ही यह चेतावनी दी गई थी यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती हो तो बृहद आंदोलन किया जाएगा।

इस दौरान ‘झारखंड सरकार संताली भाषा को राज्य की प्रथम राजभाषा का दर्जा दो नहीं तो गद्दी छोड़ो का नारा’ लगता रहा।

धरना के बाद राज्यपाल के नाम एक मांग पत्र डीडीसी मनीष कुमार को सौंपा गया।

इस मौके पर सेंगेल अभियान के केंद्रीय संयोजक बिमो मुर्मू ने कहा कि झारखंड राज्य का गठन आदिवासी हितों के लिए किया गया है। राज्य की गद्दी पर आदिवासी सीएम बैठा है लेकिन आदिवासी भाषा एवं संस्कृति का आदर नहीं किया जा रहा है। सेंगेल अभियान प्रारंभ से ही संताली को राज्य की प्रथम राजभाषा बनाने की मांग कर रहा है।लेकिन सरकार के कानों मे जूं नहीं रेंग रही है। उन्होंने कहा कि अब इस मांग के समर्थन में बृहद आंदोलन किया जाएगा।

अब तक अनुच्छेद 345 के तहत संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा क्यों नहीं दिया गया, क्यों जेएमएम के एमएलए एवं एमपी ओलचिकी लिपि का विरोध करते हैं? क्यों मरांग बुरू को आदिवासियों को नहीं सौंपा जा रहा है।इसे जैनियों के हाथों क्यों बेंच दिया गया, सरना धर्म कोड की जगह “सरना आदिवासी धर्म कोड” बिल विधानसभा से पास कराकर बिना राज्यपाल के हस्ताक्षर के केंद्र सरकार को क्यों भेजा गया, क्यों कुर्मी/महतो को आदिवासी बनाने का अनुशंसा की गई. जबकि असम-अंडमान के झारखंडी अदिवासियों को एसटी बनाने की मांग पर सरकार चुप है?सीएनटी/ एसपीटी कानून का गला घोंट कर 23 मार्च 2021 को शहरी विकास के नाम पर लैंड पूल बिल पास किया गया,वीर शहीद सिदो मुर्मू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की संदिग्ध हत्या मामले पर मुस्लिम वोट बैंक के लिए सीबीआई जांच नहीं किया गया। जब 1932 खतियान आधारित स्थानीयता लागू नहीं हो सकती है तो प्रखंडवार नियोजन नीति लागू क्योँ नहीं किया जाता है. आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार की पहल करने की बजाय परंपरा के नाम से नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, महिला विरोधी मानसिकता, वोट को हंडिया दारु चखना रुपयों में खरीद बिक्री आदि को बढ़ावा देता है।

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