झारखंड वार्ता न्यूज़
महुआडांड़ (लातेहार):- हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के खिलाफ वहाँ के आंदोलनकारियों के समर्थन में केन्द्रीय जन संघर्ष समिति, लातेहार-गुमला, ने आज बुधवार को दोपहर 12-2 बजे तक मानवश्रृंखला बनाकर हसदेव के समर्थन में “हसदेव बचाओ” , “SAVE HASDEV” की तख्ती लेकर खड़े हुए।

नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज व पलामू व्याघ्र परियोजना के प्रभावितों ने महुआडाँड़-डालटेनगंज मुख्य मार्ग, शास्त्री चौक, बोहटा, बारेसाँड़, गारु। महुआडाँड़ –रांची मुख्यपथ में कुरुंद, चोरमुंडा, पकरीपाठ, बनारी। महुआडाँड़-गुमला पथ में रजावल, नवाडीह, चैनपुर और गुमला के सिसई रोड में मानवश्रृंखला बनाकर हसदेव बचाओ आंदोलन का समर्थन किया गया।

ज्ञात हो कि छतीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित हसदेव अरण्य भारत के सबसे बड़े वन क्षेत्रों में से एक है। हसदेव जंगल 1,70,000 (एक लाख सत्तर हजार) हेक्टेयर में फैला हुआ है। यहाँ अनेक प्रकार के पेड़-पौधे, जानवर और पक्षी पाए जाते हैं। यह जंगल कई दुर्लभ और लुप्त होते पशु-पक्षियों एवं वनस्पतियों को अपने गोद में शरण दिए हुए है। इसी जंगल में हसदेव नदी बहती है, जिसे छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा भी कहा जाता है। इसी हसदेव नदी में मिनीमाता बाँगो बांध का निर्माण किया गया है। हसदेव अरण्य में कई आदिवासी समुदाय निवास करते हैं। जो यहाँ के पारंपरिक निवासी हैं। जिन्होंने अभी तक इस जंगल के वनस्पति एवं पशु पक्षियों के साथ सहअस्तित्व का जीवन जीते हुए इन्हें संरक्षित रखा है।
