मुरी:-सोमवार के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को व्रतियों ने पूरा दिन निर्जला उपवास रखकर शाम में नदी एवं तालाबों के घाटों पर जाकर परंपरागत रीति से स्नान कर सूर्य उपासना में लीन रहकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान बांस के सूप में फल,फूल एवं विविध प्रकार के प्रसाद रखकर सूर्य को दूध एवं मिश्रित जल से अर्घ्य दिया।अर्घ्य देने के पश्चात छठ व्रतियों ने बताया कि उगते और डूबते दोनों सूर्य को अर्घ्य देकर प्रकृति और जीवन के संतुलन का सम्मान किया जाता है साथ ही यह पर्व कृतज्ञता,श्रद्धा और ऊर्जा के द्विपक्षीय स्वरूप की पूजा का प्रतीक है।इसी क्रम में छठ घाटों पर हजारों की संख्या में मेला का स्वरूप भी देखने को मिला।छठ घाटों को विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आकर्षक ढंग से सजाया गया था एवं चारों ओर छठ पूजा के गीतों से गूंजयमान रहा। घाटों पर दुकानदारों ने विभिन्न प्रकार के दुकाने सजाई थी,जहां श्रद्धालुओं ने खरीदारी की।वहीं घाटों की ओर जाने वाली सड़कों पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रही।महापर्व को देखते हुए प्रशासन और हिंडाल्को के सुरक्षाकर्मी भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मुस्तैद दिखे।
अस्ताचलगामी सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य,घाटों पर उमड़ी भीड़








