डीजीपी अनुराग गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, बाबूलाल मरांडी की अवमानना याचिका खारिज

On: August 18, 2025 4:51 PM

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रांची: झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजरिया की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी की अवमानना याचिका को खारिज कर दिया। अदालत के इस फैसले से झारखंड सरकार और डीजीपी अनुराग गुप्ता को बड़ी राहत मिली है।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष
सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि राज्य सरकार को अपने प्रदेश का पुलिस महानिदेशक नियुक्त करने का पूर्ण अधिकार है। उन्होंने कहा कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति सभी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए की गई है। अदालत ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए मरांडी की अवमानना याचिका खारिज कर दी।
बाबूलाल मरांडी की आपत्ति
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया था कि झारखंड सरकार ने प्रकाश सिंह बनाम केंद्र सरकार मामले में तय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर नियुक्ति की है। उनके अनुसार, यूपीएससी पैनल से चुने गए अधिकारी को हटाकर अनुचित तरीके से अनुराग गुप्ता को डीजीपी बना दिया गया। याचिका में राज्य के मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों को भी प्रतिवादी बनाया गया था।
केंद्र बनाम राज्य का टकराव
अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव जारी है। गुप्ता 30 अप्रैल को 60 वर्ष की आयु पूरी कर सेवानिवृत्ति के पात्र हो गए थे। झारखंड सरकार ने उनके कार्यकाल के विस्तार के लिए केंद्र को पत्र भेजा, लेकिन केंद्र ने प्रस्ताव ठुकरा दिया। केंद्र सरकार का स्पष्ट मत है कि अनुराग गुप्ता की सेवा 30 अप्रैल को ही समाप्त हो गई। इसके बावजूद राज्य सरकार ने उन्हें डीजीपी पद पर बनाए रखने का निर्णय लिया। केंद्र ने राज्य सरकार के इस कदम को नियम विरुद्ध और असंवैधानिक करार दिया है। वहीं, हेमंत सोरेन सरकार अपने रुख पर अडिग है और गुप्ता की नियुक्ति को पूरी तरह वैध ठहरा रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना याचिका खारिज किए जाने के बाद झारखंड सरकार को फिलहाल बड़ी राहत मिल गई है। हालांकि, केंद्र और राज्य के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। आने वाले दिनों में इस नियुक्ति पर राजनीतिक और कानूनी जंग और तेज होने की संभावना है।