झारखंड की छात्र शक्ति पर सीधा हमला राज्यपाल के अधिकारों के साथ छेड़छाड़ करना दुर्भाग्यपूर्ण – शुभम

On: August 28, 2025 6:56 AM

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गढ़वा: झारखंड सरकार की ओर विधानसभा से पारित झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जताया विरोध राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली में झारखंड के विश्वविद्यालयों में कुलपति, प्रति कुलपति, वित्तीय सलाहकार, परीक्षा नियंत्रक एवं अन्य प्रमुख पदों पर नियुक्ति के अधिकार को महामहिम राज्यपाल महोदय से हटाकर राज्य सरकार को देने का प्रावधान किया जाना पूरी तरह से असंवैधानिक राजनीतिक नियंत्रण है। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक शुभम त्रिवेदी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रतिकुलपति, वित्तीय सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण पदों की नियुक्ति का अधिकार अपने पास केंद्रित कर रही है। जबकि संविधान के अनुसार यह अधिकार अब तक राज्यपाल का रहा है। वे सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं। यह सीधे-सीधे संविधान, उच्च शिक्षा की स्वायत्तता और निष्पक्षता पर हमला व राजनीतिकरण है यह छात्र युवाओं के भविष्य और अधिकार पर डकैती है।शिक्षा की गुणवत्ता के स्थान पर केवल सत्ता के संतुलन को ध्यान दिया जाता है। उन्होंने विधेयक को तत्काल रद्द करने का आग्रह किया। छात्र संघ चुनाव केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय परिसर में लोकतंत्र की एक जीवंत प्रयोगशाला है, जहाँ छात्र अपने नेतृत्व कौशल का विकास करते हैं, अपनी समस्याओं को मुखरता से उठाते हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन तक लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात पहुँचाते हैं। छात्र संघ चुनाव केवल राजनीति का प्रशिक्षण केंद्र नहीं, बल्कि समाज को नेतृत्व देने वाली पीढ़ी का निर्माण स्थल है।विश्वविद्यालय परिसरों में तत्काल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत छात्र संघ चुनाव बहाल किए जाएँ। वर्तमान सरकार राज्य की उच्चतर शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेकर राजनीति व भ्रष्टाचार का अड्डा बनाना चाहती है। सरकार पहले से ही JAC, JSSC, JPSC जैसे संस्थानों के संचालन में पूरी तरह से विफल रही है और अब विश्वविद्यालयी शिक्षा को पूरे तरह से अपने राजनीतिक एजेंडा के तहत अपने कंट्रोल में लेकर काम करना चाहती है जोकि वर्तमान समय के विद्यार्थी झारखंड राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।