नई दिल्ली: भारत के प्रमुख प्रकाश पर्व दीपावली को अब वैश्विक सांस्कृतिक पहचान मिल गई है। यूनेस्को ने 2025 की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) की प्रतिनिधि सूची में दीपावली को आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया है। इस वर्ष की सूची में कुल 20 सांस्कृतिक परंपराओं को स्थान दिया गया है, जिनमें दो दक्षिण एशिया से हैं, भारत की दीपावली और बांग्लादेश की तांगाइल साड़ी बुनाई कला।
यूनेस्को सूची क्यों महत्वपूर्ण है?
यूनेस्को दुनिया की उन जीवित परंपराओं और सांस्कृतिक प्रथाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए यह सूची तैयार करता है, जो समाजों की सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। इसमें केवल कला, स्मारक या वस्तुएं शामिल नहीं होतीं, बल्कि वे परंपराएं भी सम्मिलित की जाती हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं। जैसे त्योहार, लोककथाएं, संगीत, नृत्य, सामाजिक प्रथाएं और पारंपरिक कौशल।
इन परंपराओं को सूची में शामिल करने का उद्देश्य है उन्हें वैश्वीकरण के दौर में संरक्षित रखना और सांस्कृतिक विविधता को मजबूत बनाना।
दीपावली को मिली वैश्विक मान्यता
यूनेस्को ने दीपावली को ‘समुदायों को जोड़ने वाले उत्सव’ के रूप में पहचान दी है, जो अंधकार पर प्रकाश की, और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाने वाला यह पर्व सामाजिक मेल-जोल, परंपरा, कला, संगीत और धार्मिक आस्थाओं का अद्वितीय संगम है।
पीएम मोदी जताई खुशी
इस उपलब्धि पर पीएम मोदी ने खुशी जताई है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारत और विश्व भर के लोग इस खबर से उत्साहित और गौरवान्वित हैं। हमारे लिए दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और हमारे जीवन-मूल्यों से गहराई तक जुड़ा हुआ है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धर्म का प्रतीक है। यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में दीपावली का शामिल होना इस पर्व को विश्व स्तर पर और भी लोकप्रिय बनाएगा। प्रभु श्रीराम के आदर्श हमें सदा-सदा के लिए मार्गदर्शन देते रहें। जय सियाराम!
भारत की 15 धरोहरें पहले से लिस्ट में
यूनेस्को की यह लिस्ट दुनिया की ऐसी सांस्कृतिक और पारंपरिक चीजों को शामिल करती है, जिन्हें छू नहीं सकते लेकिन अनुभव किया जा सकता है। इसे अमूर्त विश्व धरोहर भी कहते हैं। इसका मकसद है कि ये सांस्कृतिक धरोहरें सुरक्षित रहें और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचें। फिलहाल, भारत की 15 धरोहरें पहले से अमूर्त विश्व धरोहर की सूची में जगह बना चुकी हैं। इसमें दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला, छऊ नृत्य भी शामिल हैं।
दक्षिण एशिया के लिए गर्व का क्षण
भारत की दीपावली के साथ-साथ बांग्लादेश की पारंपरिक तांगाइल साड़ी बुनाई कला को भी 2025 की सूची में स्थान मिला है। यह कला बांग्लादेश की सांस्कृतिक विरासत और हस्तशिल्प कौशल की पहचान मानी जाती है।
दीपावली का यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल होना भारत के लिए गर्व का क्षण है। यह न केवल इस पर्व की सांस्कृतिक महत्ता को वैश्विक स्तर पर स्थापित करता है, बल्कि भारतीय परंपराओं और मूल्यों की अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी और मजबूत बनाता है।













