सुप्रीम कोर्ट का EC को आदेश,ईवीएम से कोई डाटा डिलीट या रीलोड ना करे
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन सत्यापन के लिए दया शिकागो पर सुनवाई करते हुए बहुत महत्वपूर्ण आदेश दिया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कहा है कि फिलहाल ईवीएम से कोई डेटा डिलीट या रीलोड न किया जाए।
बता दें कि ईवीएम के वेरिफिकेशन के संबंध में पॉलिसी बनाने की मांग संबंधित दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका में मांग की गई है कि ईवीएम की मेमोरी/माइक्रोकंट्रोलर की जांच और वेरिफिकेशन के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका पर सीजेआई संजीव खन्ना ने सवाल किया, ये किसलिए है? इस पर वकील प्रशांत भूषण ने कहा, हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ईसीआई को जो प्रक्रिया अपनानी चाहिए, वो उनके मानक संचालन प्रोटोकॉल के अनुरूप हो. हम चाहते हैं कि कोई व्यक्ति ईवीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जांच करे. ताकि ये पता चल सके कि सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में किसी तरह की हेराफेरी की गई है या नहीं.
इस पर सीजेआई ने कहा, हम करण सिंह दलाल की याचिका में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. हम इसे 15 दिन बाद रखेंगे. तब तक अपना जवाब दाखिल करें. साथ ही डेटा न डिलीट करें और न ही फिर से लोड, बस जांच करने दें.सीजेआई ने सवाल किया, वोटों की गिनती के बाद पेपर ट्रेल्स हटा दिए जाते हैं या वहीं रहते हैं? इस पर वकील प्रशांत भूषण ने कहा, पेपर ट्रेल्स रखने चाहिए.वरिष्ठ वकील देवदत्त कामथ ने कहा कि मैं सर्वमित्र की ओर से पेश हुआ हूं. पूरा डेटा मिटा दिया गया, जिन ईवीएम से मतदान हुआ था, उनकी जांच होनी चाहिए. असली नहीं बल्कि डमी यूनिट की जांच की जाती है. हर ईवीएम की जांच के लिए 40 हजार रुपये खर्च किए जा रहे हैं और भुगतान उम्मीदवार को करना है. यह सिर्फ एक मॉक पोल है.
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि बिना शर्त वापसी के बाद उन्होंने ऐसी याचिका दायर करने का अधिकार खो दिया था. यहां वकीलों के एक ही समूह ने इसे दायर किया है. ऐसी याचिका जस्टिस दीपांकर दत्ता के सामने आई थी और इसे वापस ले लिया गया था.
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