अयोध्या/रीवा: राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी संत, प्रखर रामभक्त और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार को निधन हो गया। मध्यप्रदेश के रीवा में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 67 वर्ष के थे। उनके निधन से संत समाज, रामभक्तों और राजनीतिक जगत में गहरा शोक व्याप्त है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, डॉ. रामविलास दास वेदांती इन दिनों रीवा में रामकथा का वाचन कर रहे थे। इसी दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन की खबर फैलते ही अयोध्या सहित देशभर के संतों, साधु-महात्माओं और उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई।
डॉ. वेदांती राम जन्मभूमि आंदोलन के उन प्रमुख चेहरों में शामिल रहे, जिन्होंने इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 90 के दशक में वे भारतीय जनता पार्टी और हिंदुत्व की राजनीति का एक सशक्त चेहरा माने जाते थे। अयोध्या से सांसद रहते हुए उन्होंने संसद से लेकर सड़कों तक राम मंदिर निर्माण की मांग को मुखरता के साथ उठाया। बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में जिन नेताओं पर आरोप लगे थे, उनमें उनका नाम भी शामिल रहा।
उनके समर्थकों और संत समाज का मानना है कि डॉ. रामविलास दास वेदांती का निधन राम भक्तों और सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन त्याग, तपस्या और रामभक्ति को समर्पित रहा।
डॉ. वेदांती का पार्थिव शरीर देर शाम तक अयोध्या लाया गया। मंगलवार को अयोध्या में सरयू तट पर सुबह 10 बजे उन्हें जल समाधि दी जाएगी। जहां देशभर से संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि डॉ. रामविलास दास वेदांती का गोलोकगमन आध्यात्मिक जगत और सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका जाना एक युग का अवसान है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने शोक संदेश में कहा कि धर्म, समाज और राष्ट्र की सेवा को समर्पित संत वेदांती का त्यागमय जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा। उन्होंने प्रभु श्रीराम से प्रार्थना की कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्राप्त हो तथा शोक संतप्त शिष्यों और अनुयायियों को इस गहन दुःख को सहन करने की शक्ति मिले।
डॉ. रामविलास दास वेदांती के निधन से न केवल अयोध्या, बल्कि पूरा देश एक ऐसे संत को खो बैठा है, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन को दिशा और ऊर्जा देने में अहम भूमिका निभाई।













