जमशेदपुर: झारखंड के शिक्षा मंत्री और घाटशिला से झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के विधायक रामदास सोरेन का निधन 15 अगस्त 2025 को दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया। वह 55 वर्ष के थे। 12 अगस्त को घोड़ाबांधा स्थित अपने आवास पर बाथरूम में गिरने के बाद उन्हें गंभीर चोट आई थी। मस्तिष्क में चोट और रक्त का थक्का (ब्रेन हेमरेज) बनने के कारण उनकी स्थिति नाजुक बनी रही। पहले उन्हें जमशेदपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, बाद में एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाया गया। जीवन रक्षक प्रणाली (लाइफ सपोर्ट) पर रहने के बावजूद वह जिंदगी की जंग हार गए।
रांची से घाटशिला तक अंतिम यात्रा
16 अगस्त की सुबह उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से रांची लाया गया। झारखंड विधानसभा परिसर में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों और कई दलों के नेताओं ने वहां उन्हें नमन किया। इसके बाद शव यात्रा सड़क मार्ग से घाटशिला के लिए रवाना हुई। रास्ते में जमशेदपुर और अन्य इलाकों में हजारों लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे।
घोड़ाबांधा में उमड़ा जनसैलाब
शव यात्रा उनके पैतृक आवास घोड़ाबांधा पहुंची, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। परिवारजन, समर्थक और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। भावुक माहौल के बीच उनका अंतिम संस्कार घोड़ाबांधा से दो किलोमीटर दूर पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। सलामी के बाद उनके बड़े पुत्र सोमेश सोरेन ने मुखाग्नि दी।
नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
रामदास सोरेन के अंतिम संस्कार में झारखंड और देश की राजनीति से जुड़े कई बड़े नेता शामिल हुए। पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, झारखंड सरकार की मंत्री दीपिका पांडे, सांसद विद्युत वरण महतो, विधायक समीर मोहंती, मंगल कालिंदी, मंत्री इरफान अंसारी, विधायक दीपक बिरुआ और संजीव सरदार सहित कई नेता मौजूद रहे। सभी ने उन्हें एक समर्पित आंदोलनकारी, संवेदनशील जनसेवक और झारखंड आंदोलन के योद्धा के रूप में याद किया।
संघर्षशील जीवन
रामदास सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत झारखंड मुक्ति मोर्चा से की थी। वह झारखंड आंदोलन के दौरान सक्रिय रूप से जुड़े रहे और घाटशिला से कई बार विधायक चुने गए। शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई पहल की। रामदास सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके योगदान और सेवाओं को लंबे समय तक याद किया जाएगा।