रांची: झारखंड में बिजली उपभोक्ताओं को आने वाले समय में बड़ा झटका लग सकता है। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए बिजली दरों में अधिकतम 59 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) के समक्ष प्रस्तुत किया है। निगम का कहना है कि भारी राजस्व घाटे और बढ़ती लागत के कारण यह बढ़ोतरी जरूरी हो गई है।
4991 करोड़ रुपये का ट्रू-अप रेवेन्यू गैप
जेबीवीएनएल के टैरिफ पिटीशन के अनुसार, वर्ष 2023-24 तक निगम पर ट्रू-अप रेवेन्यू गैप 4991.67 करोड़ रुपये का हो चुका है। वहीं वित्तीय लेखा-जोखा के मुताबिक वर्ष 2025-26 में निगम को कुल 15,584.46 करोड़ रुपये की राजस्व आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में जेएसईआरसी द्वारा निर्धारित दरों के आधार पर निगम की अनुमानित राजस्व वसूली केवल 9,794.76 करोड़ रुपये ही हो पाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
निगम ने अपने प्रस्ताव में अगस्त 2025 में जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि तीन वर्षों के भीतर रेवेन्यू गैप को समाप्त करना अनिवार्य है। इसी कारण 2025-26 में आवश्यक राजस्व जुटाने के लिए टैरिफ में 59 प्रतिशत तक की वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया है।
अन्य राज्यों से तुलना
टैरिफ पिटीशन में जेबीवीएनएल ने यह भी उल्लेख किया है कि विभिन्न राज्यों में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों की संरचना अलग-अलग है। झारखंड में घरेलू श्रेणी के तहत 200 यूनिट से अधिक खपत पर उच्च दर लागू होती है। 201 से 400 यूनिट तक की खपत पर राज्य सरकार प्रति यूनिट सब्सिडी देती है। निगम के अनुसार, वर्तमान दरों की तुलना करें तो राजस्थान और बिहार में घरेलू बिजली दर झारखंड से अधिक है, जबकि उत्तर प्रदेश में लगभग समान है।
फिक्स्ड चार्ज में भी अंतर
फिक्स्ड चार्ज को लेकर भी झारखंड अन्य राज्यों से अलग है। बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली जैसे राज्यों में फिक्स्ड चार्ज प्रति किलोवाट (kW) के आधार पर लिया जाता है, जबकि झारखंड में यह प्रति कनेक्शन के आधार पर वसूला जाता है।
प्रीपेड मीटर से जुड़ी व्यवस्था
जेबीवीएनएल ने प्रीपेड मीटर को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की है। प्रीपेड मीटर वाले उपभोक्ताओं के खाते में बैलेंस समाप्त होते ही बिजली आपूर्ति स्वतः बंद हो जाती है और रिचार्ज या भुगतान करने पर अपने आप बहाल हो जाती है। हालांकि, यदि तकनीकी कारणों से रिचार्ज के बाद भी बिजली चालू नहीं होती है, तो उपभोक्ता संबंधित कार्यालय में आवेदन देकर तकनीकी जांच और सुधार करा सकते हैं।
आयोग करेगा अंतिम फैसला
अब इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को लेना है। आयोग बिजली खरीद लागत, परिचालन व्यय, राजस्व अंतर और उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे सभी पहलुओं का आकलन कर टैरिफ पर फैसला सुनाएगा।
झारखंड में फिर महंगी हो सकती है बिजली, JBVNL ने 59% बढ़ोतरी का दिया प्रस्ताव












