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आंध्र प्रदेश–छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर मुठभेड़: शीर्ष नक्सली कमांडर मादवी हिडमा और उसकी पत्नी ढेर, 1 करोड़ का था इनामी

On: November 18, 2025 11:58 AM
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Madvi Hidma killed: आंध्र प्रदेश–छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित घने जंगलों में सोमवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने PLGA बटालियन नंबर-1 के प्रमुख और कुख्यात नक्सली कमांडर मादवी हिडमा को उसकी पत्नी राजे समेत ढेर कर दिया। दोनों को गोली लगने के बाद घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इस मुठभेड़ में कुल 6 नक्सली मारे गए हैं। यह ऑपरेशन आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले और छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की सीमा पर इनपुट के आधार पर चलाया गया था।

कौन था हिडमा?

43 वर्षीय हिडमा पिछले करीब दो दशक से सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ था। वह PLGA की सबसे सशक्त बटालियन नंबर-1 का मुखिया था। साथ ही सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सबसे कम उम्र का सदस्य भी रहा। जंगलों में उसकी गुरिल्ला रणनीतियां और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से बचने की क्षमता ने उसे संगठन का सबसे खतरनाक चेहरा बना दिया था।


सुकमा के पुवर्ती गांव से निकला कुख्यात कमांडर

हिडमा का जन्म 1981 में सुकमा जिले के पुवर्ती इलाके में हुआ था। किशोरावस्था में ही वह माओवादियों से जुड़ गया और तेजी से रैंकों में ऊपर चढ़ते हुए संगठन का टॉप स्ट्रैटेजिस्ट बन गया।

कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड

हिडमा पर कम से कम 26 बड़े नक्सली हमलों की साजिश और नेतृत्व का आरोप था।

2013 का दरभा घाटी नरसंहार, जिसमें कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं समेत 27 लोगों की जान गई—हिडमा इसका मुख्य साजिशकर्ता था।

2017 में सुकमा जिले में CRPF पर हुए हमले में भी उसने नेतृत्व किया, जिसमें 25 जवान शहीद हो गए थे।

उसकी गिरफ्तारी पर सरकार ने 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।


मुठभेड़ कैसे शुरू हुई?

पिछले कई दिनों से सुरक्षा एजेंसियों को हिडमा की मूवमेंट संबंधी इनपुट मिल रहे थे। विशेष टीमों ने जंगल में एक कॉर्डन-एंड-सर्च ऑपरेशन शुरू किया। घेराबंदी महसूस होते ही माओवादी कमांडर ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में हिडमा और उसकी पत्नी ढेर हो गए। उसकी पत्नी भी संगठन में सक्रिय थी और कई ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाती थी।


माओवादी संगठन पर बड़ा असर

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि हिडमा की मौत माओवादी संगठन के लिए बड़ा झटका साबित होगी। दक्षिण बस्तर में संगठन की पकड़ बनाए रखने में उसकी भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण थी। उसके मारे जाने से माओवादियों का नेटवर्क कमजोर पड़ेगा और आने वाले महीनों में सुरक्षा बलों को क्षेत्र में बेहतर पकड़ बनाने में मदद मिलेगी।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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