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छत्तीसगढ़–मध्यप्रदेश बाॅर्डर पर मुठभेड़, 77 लाख के इनामी नक्सली लीडर कबीर समेत 10 नक्सलियों ने किया सरेंडर

On: December 7, 2025 12:58 PM
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बालाघाट: छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की जंगलनुमा सरहद एक बार फिर शनिवार (6 दिसंबर) की सुबह गोलियों की आवाज से दहक उठी। खैरागढ़–पैलिमेटा इलाके से लगे बालाघाट जिले में पुलिस द्वारा चलाए जा रहे सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच आमने–सामने की मुठभेड़ हो गई। घने जंगलों में करीब आधे घंटे तक चली फायरिंग के बाद नक्सली अपना डेरा छोड़कर भाग निकले। इसी दबाव की कड़ी में कुछ ही घंटों बाद नक्सलियों के बड़े ग्रुप ने बालाघाट पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

यह सरेंडर इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि मुठभेड़ उसी संवेदनशील क्षेत्र के पास हुई है, जहां बीते नवंबर महीने में हॉक फोर्स के इंस्पेक्टर आशीष शर्मा शहीद हुए थे। उनकी शहादत के बाद से सुरक्षा एजेंसियों ने इस पूरे बेल्ट में ऑपरेशन की तीव्रता बढ़ा रखी थी।

मुठभेड़ के दौरान नक्सली कैंप खाली छोड़कर भागे

सुरक्षा बलों की टीम जब शनिवार सुबह गश्त कर रही थी, तभी एमएमएससी जोन के नक्सलियों से उनका सामना हो गया। दोनों तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग हुई और जंगल गोलियों की आवाज़ से थर्रा उठा। बढ़ते दबाव को देखते ही नक्सली कैंप छोड़कर गहरे जंगल की ओर भाग निकले। कैंप से पुलिस को बड़ी मात्रा में दवाइयां, रोजमर्रा का सामान, माओवादी साहित्य, हथियारों से जुड़ा सामग्री और संगठनात्मक गतिविधियों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं।

सुरेंद्र उर्फ कबीर समेत 10 नक्सलियों का आत्मसमर्पण

मुठभेड़ खत्म होने के बाद क्षेत्र में लगातार दबाव और पुलिस की रणनीतिक कार्रवाई का बड़ा असर दिखा। कुछ ही घंटों के भीतर कुल 10 सक्रिय नक्सलियों ने अपने हथियार डाल दिए।

इनमें सबसे बड़ा नाम सुरेंद्र उर्फ कबीर का है, जिसे एसजेडसीएम और एमएमसी का सचिव माना जाता है। कबीर पर सरकार ने 77 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में 4 महिला और 6 पुरुष नक्सली शामिल हैं। जिन नक्सलियों ने सरेंडर किया, उनमें शामिल हैं- राकेश होडी उर्फ मनीष (SZCM, KB डिवीजन), समर (ACM, भोरमदेव AC), लालसू (कबीर का गार्ड), शीला (ACM, भोरमदेव AC), नवीन (ACM), ज़रीना (ACM), शिल्पा, सुनीता, कबीर का एक अन्य गनमैन। ये सभी लंबे समय से माओवादी नेटवर्क में सक्रिय बताए जाते रहे हैं और कई घटनाओं में इनकी भूमिका की जांच सुरक्षा एजेंसियां कर रही थीं।

सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता

अधिकारियों ने इस सरेंडर को नक्सल मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि बताया है। यह पूरा इलाका वर्षों से माओवादी गतिविधियों का ठिकाना माना जाता रहा है। इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की शहादत के बाद से इस पूरे ज़ोन में लगातार सघन सर्चिंग, मूवमेंट और संयुक्त ऑपरेशन बढ़ाए गए थे, जिसका बड़ा नतीजा इस सरेंडर के रूप में सामने आया है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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