यूरोपीय संघ ने भारत की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी वाडिनार पर लगाए प्रतिबंध, जानें क्या है वजह

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ब्रुसेल्स: यूरोपीय संघ (ईयू) ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों के तहत गुजरात स्थित वाडिनार तेल रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाए हैं। वाडिनार रिफाइनरी भारत की दूसरी सबसे बड़ी सिंगल लोकेशन रिफाइनरी है और उसमें रूस की सरकारी कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है। बता दें कि, इस प्रतिबंध को भारत द्वारा रूस से क्रूड ऑयल और गैस खरीदने से जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही, भारतीय जहाजों की फ्लैग रजिस्ट्री को भी निशाने पर लिया गया है। इसका मतलब है कि जो जहाज भारतीय ध्वज के तहत पंजीकृत हैं और रूसी तेल के परिवहन में शामिल पाए जाते हैं, उन पर यूरोपीय संघ कार्रवाई कर सकता है।

दरअसल पिछले दिनों रूस से कच्चा तेल खरीदने पर नाटो चीफ मार्क रूट ने भारत समेत ब्राजील और चीन को धमकी दी थी। नाटो चीफ ने कहा था कि ब्राजील, चीन और भारत जैसे देश रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं तो उन पर सेकेंडरी सैंक्शंस बहुत भारी पड़ सकते हैं। ये सैंक्शंस अमेरिका द्वारा इन देशों पर लगाया जा सकता है।

ईयू की विदेश नीति प्रमुख काजा कलास ने कहा कि यह पहली बार है जब समूह ने किसी भारतीय रिफाइनरी और भारतीय झंडे वाली रजिस्ट्री को प्रतिबंधित किया है। कलास ने पोस्ट किया, “यूरोपीय संघ ने अभी-अभी रूस पर अब तक का सबसे कठोर प्रतिबंध पैकेज मंजूर किया है। हम क्रेमलिन के युद्ध बजट को और काट रहे हैं। हम 105 और ‘शैडो फ्लीट’ जहाजों, उनके सहयोगियों, और रूसी बैंकों की वित्तीय पहुंच पर कार्रवाई कर रहे हैं। नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। तेल मूल्य सीमा को और कम किया गया है। हम रूस की सैन्य इंडस्ट्री, प्रतिबंधों को चकमा देने में लगे चीनी बैंकों और ड्रोन में इस्तेमाल हो रही तकनीक को भी निशाना बना रहे हैं।” कलास ने यह भी स्पष्ट किया कि पहली बार किसी ‘फ्लैग रजिस्ट्री’ और भारत की एक बड़ी रिफाइनरी को भी प्रतिबंध सूची में डाला गया है। उन्होंने कहा, “हम पहली बार किसी फ्लैग रजिस्ट्री और भारत में स्थित रोसनेफ्ट की सबसे बड़ी रिफाइनरी को निशाना बना रहे हैं। हमारे प्रतिबंध उन लोगों को भी निशाना बनाते हैं जो यूक्रेनी बच्चों का ब्रेनवॉश कर रहे हैं। हम रूस की आक्रामकता की कीमत बढ़ाते रहेंगे, ताकि मॉस्को के पास पीछे हटने के अलावा कोई रास्ता न बचे।”

वाडिनार रिफाइनरी को भारत में नायरा एनर्जी नामक कंपनी संचालित करती है। नायरा एनर्जी में रूसी सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है। इसकी रिफाइनरी रूस के कच्चे तेल पर बहुत अधिक निर्भर है। 2023 में, इस रिफाइनरी ने 82 मिलियन बैरल रूसी कच्चे तेल का आयात किया, जो इसकी कुल आपूर्ति का लगभग 57% था। यह तेल परिष्कृत होने के बाद यूरोप और अन्य पश्चिमी देशों में निर्यात किया जाता है, जिसे “रिफाइनिंग लूपहोल” के रूप में जाना जाता है। इस लूपहोल के तहत, रूसी कच्चे तेल को भारत जैसे तीसरे देशों में परिष्कृत कर यूरोप में वैध रूप से निर्यात किया जाता है, जो रूस के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है।

Vishwajeet

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