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शैक्षणिक संस्थानों में साइबर खतरों का मूल्यांकन, पायलट अध्ययन में खुलासा

On: August 13, 2025 8:34 PM
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संस्थागत साइबर लचीलापन निर्माण के लिए तत्काल और निरंतर पहल की सिफारिश

रांची : भारत के उच्च शिक्षा संस्थान साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं। वैश्विक गैर-लाभकारी संस्था साइबरपीस के पायलट अध्ययन में खुलासा हुआ है कि केवल 9 माह (जुलाई 2023 से अप्रैल 2024) में देशभर में दो लाख से अधिक साइबर हमले और करीब चार लाख डेटा उल्लंघन दर्ज हुए। अध्ययन में 8,000 से ज्यादा यूनीक यूज़रनेम और 54,000 से ज्यादा यूनीक पासवर्ड ब्रूट फोर्स हमलों में इस्तेमाल होते पाए गए, जिनमें ‘123456’ और ‘पासवर्ड’ जैसे बेहद कमजोर पासवर्ड भी शामिल हैं।


रिपोर्ट के अनुसार, मज़बूत साइबर सुरक्षा वाली वैश्विक संस्थाओं की तुलना में भारतीय संस्थान पांच गुना अधिक संवेदनशील हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए साइबरपीस ने डेलनेट के सहयोग और गूगल.ऑर्ग के समर्थन से साइबर फर्स्ट रेस्पॉन्डर इनिशिएटिव की शुरुआत की है, जिसके तहत छात्रों, शिक्षकों, पुस्तकालयकर्मियों और स्टाफ को साइबर खतरे, डीपफेक और एआई के दुरुपयोग से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) जी.एस. बाजपेयी, कुलपति, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली ने कहा, असली मजबूती परिस्थितियों के अनुसार बदलाव में है। हर साइबर अपराध के पीछे डर और नुकसान की मानवीय कहानी होती है, जिसे सम्मान के साथ दूर करना जरूरी है।

डॉ. संगीता कौल, निदेशक, डेलनेट ने कहा, साइबर सुरक्षा एक ऐसी शुरुआत है जिसका कोई अंत नहीं है। सहयोग से ही स्थायी बदलाव संभव है।

विनीत कुमार, संस्थापक एवं वैश्विक अध्यक्ष, साइबरपीस ने चेताया, साइबर सुरक्षा के बिना डिजिटलीकरण दरवाजे और ताले के बिना घर बनाने जैसा है। ऐसे हालात में हमले, डीपफेक, फिशिंग और संवेदनशील डाटा की चोरी होना तय है।

रिपोर्ट में संस्थागत स्तर पर मजबूत पासवर्ड नीति, प्रशिक्षित साइबर फर्स्ट रेस्पॉन्डर और बेहतर डिजिटल ढांचे को तत्काल लागू करने की सिफारिश की गई है।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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