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सावन का पहला सोमवार आज, जानें जलाभिषेक का समय, महत्व और पूजा विधि

On: July 14, 2025 2:59 AM
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Sawan Somwar 2025: सावन का महीना हर शिवभक्त के लिए बेहद खास होता है। यह पवित्र महीना भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए शुभ माना गया है। सावन माह के सोमवार का विशेष महत्व होता है। आज यानी 14 जुलाई 2025 को सावन का पहला सोमवार है। शास्त्रों के अनुसार,सावन मास भगवान शिव का सबसे प्रिय है। धार्मिक मान्यता है कि इस मास में यदि श्रद्धापूर्वक शिवलिंग पर केवल एक लोटा जल भी अर्पित किया जाए, तो भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसके साथ ही सावन में पड़ने वाले हर एक सोमवार का अपना एक महत्व है। बता दें कि इस साल पूरे 4 सावन सोमवार पड़ रहे हैं।

प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त से लेकर प्रदोष काल तक शिव जी की पूजा की जा सकती है। लेकिन जलाभिषेक के लिए विषेश मुहूर्त इस प्रकार है।

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4 बजकर 15 से लेकर 5 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक

विजय मुहूर्त- दोपहर 02:45 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक

अमृत चौघड़िया: सुबह 8:27 बजे से सुबह 10:06 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:21 बजे से शाम 07:41 बजे तक

पूजा विधि

• सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।


• पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री जैसे जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, गन्ने का रस आदि पास में रखें।


• शिवलिंग के सामने बैठकर हाथ जोड़ें और भगवान शिव का ध्यान करें।


पहले दूध, फिर दही, फिर शहद, फिर घी, फिर शक्कर और अंत में गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें।


• अब शुद्ध जल को धीरे-धीरे पतली धार में शिवलिंग पर चढ़ाएं और साथ में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करते रहें।


• फिर गंगाजल में थोड़े से काले तिल मिलाएं और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इसके बाद यह गंगाजल भी शिवलिंग पर अर्पित करें।


• भगवान शिव को बेलपत्र, फूल और शहद अर्पित करें।


• आटे का बना चौमुखी दीपक जलाएं और शिव चालीसा का पाठ करें।

• अंत में शिवजी की आरती करें और अपनी क्षमता अनुसार जरूरतमंदों को दान करें।

सावन सोमवार व्रत महत्व

सावन सोमवार का व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आत्मसंयम और आध्यात्मिक साधना है। महिलाएं इसे पति की लंबी आयु और सुख के लिए रखती हैं, जबकि पुरुष शक्ति और शांति के लिए करते हैं। कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए श्रद्धा से यह व्रत निभाती हैं। मान्यता है कि मां पार्वती ने भी शिव जी को पाने के लिए यही व्रत रखा था। यह व्रत आस्था, संयम और आत्मशुद्धि का मार्ग है जो शिव तत्व और आत्मिक शांति दिलाता है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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