गढ़वा/रांची: झारखंड में मत्स्य उद्योग को मजबूत करने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग एवं जलीय कृषि अवसंरचना (एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर) विभाग द्वारा राज्य में मत्स्य उद्योग के विकास के लिए कुल सात महत्वपूर्ण परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। इनमें से अकेले पांच परियोजनाएं गढ़वा जिले से संबंधित हैं, जो जिले की अपार संभावनाओं को दर्शाता है।
जिला मत्स्य पदाधिकारी धनराज आर. कापसे ने जानकारी देते हुए बताया कि गढ़वा जिले में मत्स्य पालन की बेहतर भौगोलिक परिस्थितियां और परंपरागत रूप से जुड़े मछुआरा समुदाय की बड़ी आबादी मौजूद है। यही कारण है कि स्वीकृत परियोजनाओं में गढ़वा को सबसे अधिक हिस्सेदारी मिली है। उन्होंने कहा कि यदि इन परियोजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन किया गया, तो आने वाले वर्षों में गढ़वा मत्स्य उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
धनराज कापसे ने बताया कि गढ़वा जिले में मत्स्य पालकों की वास्तविक संख्या काफी अधिक है, लेकिन फिलहाल केवल करीब सात से आठ हजार लोग ही आधिकारिक रूप से पंजीकृत हैं। जबकि अनुमान है कि जिले में एक लाख से अधिक मछुआरा समुदाय के लोग मतदाता सूची में दर्ज हैं, जो पीढ़ियों से मत्स्य पालन से जुड़े हुए हैं। गढ़वा और पलामू जैसे जिलों में इस समुदाय की संख्या विशेष रूप से अधिक मानी जाती है।
उन्होंने कहा कि यदि अधिक से अधिक मत्स्य पालक सरकारी योजनाओं से जुड़कर पंजीकरण कराएं, तो न केवल उनकी आमदनी में इजाफा होगा, बल्कि राज्य स्तर पर मत्स्य उत्पादन भी कई गुना बढ़ सकता है। इससे झारखंड भी बड़े महानगरों और विकसित राज्यों की तर्ज पर मत्स्य व्यवसाय में अपनी मजबूत पहचान बना सकेगा।
रोजगार सृजन और आदिम जनजातियों के उत्थान की पहल
धनराज कापसे ने कहा कि झारखंड में लगभग दो लाख मछुआरे पंजीकृत हैं, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। उन्होंने इसे विलुप्त हो रही आदिम जनजाति और पारंपरिक मछुआरा परिवारों के उत्थान की दिशा में एक बड़ी पहल बताया। अधिकारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस विशाल समुदाय को योजनाओं से जोड़ा जाए, तो राज्य में न सिर्फ मत्स्य उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि हजारों युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा।
मत्स्य पालकों से अपील
जिला मत्स्य पदाधिकारी ने मत्स्य पालकों और युवाओं से अपील की कि वे सरकारी योजनाओं की जानकारी लें, पंजीकरण कराएं और आधुनिक तकनीकों के साथ मत्स्य पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाएं। उन्होंने कहा कि सरकार हर स्तर पर सहयोग के लिए तैयार है और आने वाला समय झारखंड के मत्स्य उद्योग के लिए बेहद उज्ज्वल है।











