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केतार में जंगल की अवैध कटाई पर वन विभाग मौन, प्रतिदिन 50 बोझा लकड़ी की ढुलाई

On: September 6, 2025 8:53 PM
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झारखंड वार्ता संवाददाता

केतार (गढ़वा)। प्रखंड क्षेत्र के जंगलों में इन दिनों धड़ल्ले से अवैध कटाई हो रही है। ग्रामीणों के अनुसार प्रतिदिन लगभग 50 बोझा लकड़ी जंगल से काटकर महिलाएँ और कुछ लोग बाहर ला रहे हैं। इसके बावजूद वन विभाग पूरी तरह मूकदर्शक बनी हुई है।

मिलीभगत के आरोप

सूत्रों का कहना है कि यह सब वन विभाग की मिलीभगत से संभव हो पा रहा है। आरोप है कि क्षेत्र में जिन कर्मचारियों की ड्यूटी है, वे कभी जंगलों की निगरानी करने तक नहीं जाते। उनकी लापरवाही और संरक्षण के कारण ही लोग निडर होकर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई कर रहे हैं।

सुरक्षा समिति भी निष्क्रिय

ग्रामीणों का कहना है कि हरगांव में वन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष और सदस्य का चुनाव तो करा दिया गया है, लेकिन उनका भी कोई प्रभाव नहीं दिख रहा। अवैध कटाई उन्हीं की मौजूदगी में होती है, फिर भी वे मूकदर्शक बने रहते हैं।

पर्यावरण पर मंडरा रहा संकट

स्थानीय लोगों ने चेताया है कि यदि इसी तरह जंगलों की अंधाधुंध कटाई जारी रही तो निकट भविष्य में पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा। इससे न केवल वर्षा चक्र प्रभावित होगा बल्कि जंगली जीव-जंतुओं का भी अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

ग्रामीणों की माँग

ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन से मांग की है कि अवैध कटाई पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो तथा जंगलों की सुरक्षा के लिए विशेष गश्ती दल गठित किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि विभाग ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

इस संबंध में रेंजर प्रमोद कुमार ठाकुर से दूरभाष द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने बताया इस मामले की जानकारी है,वहां कि कुछ महिलाएं जलावन के लिए लकड़ी ले जाती है। वनरक्षी की कमी होने के कारण रोजाना जंगलों की मुआयना करना संभव नहीं है।

Shubham Jaiswal

“मैं शुभम जायसवाल, बीते आठ वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने विभिन्न प्रतिष्ठित अखबारों और समाचार चैनलों में प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले पाँच वर्षों से मैं साप्ताहिक अखबार ‘झारखंड वार्ता’ से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ। पत्रकारिता मेरे लिए केवल पेशा नहीं बल्कि समाज और जनता के प्रति एक जिम्मेदारी है, जहाँ मेरी कलम हमेशा सच और न्याय के पक्ष में चलती है।

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