चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के गुआ में सोमवार को गुवा गोलीकांड के शहीदों की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें झारखंडी अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बताया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि गुआ गोलीकांड केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि झारखंडी अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई की जीवंत मिसाल है। शहीदों की कुर्बानी ने झारखंड राज्य के निर्माण की नींव रखी और आने वाली पीढ़ियों को संघर्ष का रास्ता दिखाया।
कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में चंपाई सोरेन ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा, फुलो-झानो और तिलका मांझी जैसे वीर नायकों के उद्देश्य को आज की पीढ़ी भूलती जा रही है। उन्होंने कहा कि आज भी आदिवासी और मूलवासी अपने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बार-बार अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ, धर्म परिवर्तन और आदिवासियों की सामाजिक व्यवस्था पर हो रहे हमलों को झारखंड के सामने खड़े ज्वलंत मुद्दे बताते हुए कहा – “आज जरूरत है कि हम सब फिर से एकजुट होकर बड़ा जन आंदोलन करें। मानकी-मुंडा और सभी आदिवासी भाइयों से आह्वान करता हूं कि जल-जंगल-जमीन बचाने के लिए संघर्ष तेज किया जाए।”
चंपाई सोरेन ने नगड़ी की जमीन विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड की मौजूदा सरकार ने बिना अधिग्रहण किए उपजाऊ खेतों पर डेरा डाल दिया था। इस पर उन्होंने वहीं हल जोतकर संदेश दिया कि आदिवासियों की जमीन और अधिकार आज भी सुरक्षित नहीं हैं।
पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल पर चंपाई सोरेन ने कहा कि टाटा स्टील की खदानें बंद पड़ी हैं, जिसके कारण मजदूर आंदोलनरत हैं। उन्होंने साफ कहा कि वे हमेशा मजदूरों के साथ खड़े हैं और उनकी लड़ाई को मजबूती देंगे।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए और शहीदों को नमन किया।