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झीरम घाटी से ताड़मेटला तक… खूनी वारदातों की साजिशकर्ता सुजाता ने किया सरेंडर, 1 करोड़ का था इनाम… जानें इसकी क्राइम कुंडली

On: September 13, 2025 8:23 PM
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हैदराबाद/रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में वर्षों तक सक्रिय रही और भूमिगत जीवन जी रही प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की वरिष्ठ नेता पोथुला पद्मावती उर्फ कल्पना उर्फ मैनाबाई उर्फ म्यनाक्का उर्फ सुजाता ने शनिवार को आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने तेलंगाना पुलिस महानिदेशक डॉ. जितेंद्र के समक्ष सरेंडर किया।

62 वर्षीय सुजाता मूल रूप से तेलंगाना के जोगुलाम्बा गडवाल जिले के गट्टू मंडल के पेंचिकालपाडु गांव की निवासी है। वह लंबे समय से वांछित थी और उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। सुरक्षा एजेंसियां इसे नक्सल मोर्चे पर अब तक की सबसे बड़ी सफलता मान रही हैं।

सुजाता छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में हुई कई बड़ी नक्सली घटनाओं की मास्टरमाइंड रही है। इनमें प्रमुख हैं –

2007 एर्राबोर (सुकमा): सीआरपीएफ और जिला पुलिस पर हमला, 23 जवान शहीद।

2010 ताड़मेटला (दंतेवाड़ा): आईईडी विस्फोट, 76 जवान शहीद।

2010 गादीरास: यात्री बस पर हमला, 36 यात्रियों की मौत।

2013 झीरम घाटी: कांग्रेस नेताओं समेत 32 लोगों की हत्या।

2017 चिंतागुफा: घात लगाकर हमला, 25 जवान शहीद।

2020 कोरजागुड़ा (सुकमा): मुठभेड़, 17 जवान शहीद।

2021 टेकुलगुड़ेम (बीजापुर): 21 जवान शहीद।


नक्सल संगठन में बड़ी हैसियत

सुजाता नक्सल संगठन की सेंट्रल कमेटी (सीसीएम) की वरिष्ठ सदस्य रही है। वह कुख्यात नक्सली कमांडर मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी की पत्नी है। किशनजी 2011 में पश्चिम बंगाल में एक मुठभेड़ में मारा गया था। अपने दौर में वह नक्सल आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा रहा और पत्रकारों को लगातार इंटरव्यू देने के लिए भी मशहूर था।

किशनजी का छोटा भाई मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ अभय अभी भी नक्सलियों का प्रवक्ता और पोलित ब्यूरो सदस्य है। किशनजी पर पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या, रांची-जमशेदपुर मार्ग पर 35 सुरक्षाकर्मियों की हत्या, खुफिया अधिकारी फ्रांसिस इन्दवार की निर्मम हत्या और 5.5 करोड़ रुपये की लूट जैसे आरोप थे।

नक्सल संगठन पर दबाव

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलियों के पूर्ण खात्मे का ऐलान किया है। इसी मिशन के तहत छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों में सुरक्षाबलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। पिछले महीनों में ही बसवाराजू और बालकृष्णा जैसे 1-1 करोड़ के इनामी नक्सली मारे गए हैं। कई अन्य बड़े कैडर भी ढेर हो चुके हैं।

लगातार हो रही कार्रवाई से नक्सली संगठन की ताकत कमजोर हो गई है। दबाव इतना बढ़ा कि कई शीर्ष नेता इलाका छोड़ने लगे। ऐसे में सुजाता जैसे कद्दावर नेता का आत्मसमर्पण माओवादियों के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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