गढ़वा : सृजन साहित्यिक मंच ने तुलसी जयंती मनायी
गोस्वामी तुलसीदास संत जगत के सूर्य हैं, उनकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती
इस अवसर पर विषय प्रवेश कराते हुये अध्यक्ष विनोद पाठक ने तुलसीदास की जीवनी व उनकी कृतियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये विषय प्रवेश कराया!सचिव सचिव सतीश कुमार मिश्र ने विचार वयक्त करते हुये कहा कि गोस्वामी तुलसीदासजी संत जगत के सूर्य हैं, उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है! उनकी रचना रामचरित मानस एक जीवन पद्धति है!इसका अनुकरण कर हम अपने परिवार, समाज व राष्ट्र सभी को संवार सकते हैं!
मुख्य अतिथि जनेश्वर द्विवेदी ने कहा कि संत तुलसीदास का प्रादुर्भाव ऐसी स्थिति में हुआ, जब देश पूरी तरह से दुर्दशा झेल रहा था! तुलसीदासजी की सभी रचनायें अद्वितीय हैं! उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने कठिनाईयों को अपने लक्ष्य के लिये आड़े नहीं आने दिया! अजय कुमार शुक्ला ने कहा कि संत तुलसीदास संस्कृति के नायक थे!उन्होंने मानव को सबसे अच्छा रास्ता दिखाया! लेकिन दुख की बात है कि आज भारत के सनातनी स्वयं अपनी संस्कृति से भटक गये हैं! माता-पिता व गुरू को माननेवालों की कमी हो गयी है! आरएसएस के प्रदेश बौद्धिक प्रमुख ज्वाला तिवारी ने कहा कि तुलसीदासजी की रचना सामाजिक समरसता का प्रतीक है!
रामचरित मानस पूरे समाज को जोड़ने की क्षमता रखता है! समाजसेवी उमाकांत तिवारी ने कहा कि आज सोशल मीडिया समाज को भ्रमित कर रहा है! रामचरित मानस को आधार बनाकर समाज को सही रास्ते पर लाया जा सकता है! अधिवक्ता आशीष कुमार दूबे उर्फ अग्निवीर ने कहा कि तुलसीदासजी 500 साल पहले ज्ञान-विज्ञान के जिस शिखर पर पहुंचे हुये थे, वहां आज भी विज्ञान नहीं पहुंच सका है! डॉ पतंजलि केसरी ने कहा कि जिस प्रकार से अपनी संस्कृति का समाज में लोप हो रहा है, उसे बचाने के लिये रामचरित मानस के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है!
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