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गिरिडीह: आर्थिक तंगी ऐसी कि शव नहीं ला सका परिवार, पुतले का ही किया अंतिम संस्कार

On: August 11, 2025 8:40 AM
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गिरिडीह: शुक्रवार रात आगरा रेलवे स्टेशन के पास पटरी किनारे 38 वर्षीय प्रवासी मजदूर सीताराम यादव (ग्राम अदुवाडीह, जमुआ, गिरिडीह) का शव संदिग्ध हालात में मिला। वे पिछले एक साल से आगरा में दिहाड़ी मजदूरी कर रहे थे। आर्थिक तंगी के कारण परिजन शव को पैतृक गांव नहीं ला सके। रविवार को गांव में पुतला बनाकर हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। रेलवे पुलिस को मृतक की जेब से आधार कार्ड और डायरी मिली, जिससे पहचान कर परिवार को सूचना दी गई। आर्थिक अभाव में परिजन आगरा नहीं जा सके, तो पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद वहीं अंतिम संस्कार कराया। घटना से पत्नी, बूढ़ी मां और तीन छोटे बच्चों का बुरा हाल है।

सीताराम यादव की पत्नी का यह कहना कि आर्थिक तंगी के कारण वे अपने पति का अंतिम दर्शन तक नहीं कर सकीं, जीवन की सच्चाइयों और गरीबी की क्रूरता को उजागर करता है। न परिवार और न गांव वालों की कोई मदद मिलना भी समाज की उस असंवेदनशीलता को दर्शाता है जहां इंसानियत कहीं पीछे छूट जाती है। परिवार द्वारा पुतला बनाकर उसका अंतिम संस्कार करना एक अनोखा और दर्द भरा तरीका है अपने प्रियजन को विदा करने का। यह उस मजबूरी की कहानी है जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। बुजुर्गों का यह कहना कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा दृश्य देखा, इसे और भी ज्यादा खास और दुर्लभ बनाता है।

इधर, पंचायत के मुखिया सुखदेव यादव ने कहा कि मौत की सूचना देने के लिए मृतका का भाई मेरे उनके पास आया था। उसे सही तरीके से मामले का पता करके बताने को कहा था, पर वह फिर दोबारा नहीं पहुंचा। आस पड़ोस के लोगों ने भी इस बारे कुछ नहीं बताया। परिजनों को शव लाने के लिए गाड़ी अथवा आर्थिक मदद की जरूरत थी, तो बोलना चाहिए था। सारी व्यवस्था की जाती। बगैर किसी को कुछ बताए बगैर रविवार को मृतक के नाम का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया, जो परंपरा के अनुकूल नहीं है।

यह वाकई दिल दहला देने वाली घटना है। आर्थिक तंगी और सामाजिक असहायता का ये चित्र बहुत ही दर्दनाक है कि एक इंसान की मौत के बाद उसके परिवार को उसका असली शव तक नहीं देख पाने का दुख सहना पड़ा और मजबूर होकर पुतले का अंतिम संस्कार करना पड़ा। यह न सिर्फ उस परिवार की आर्थिक स्थिति की एक बहुत बड़ी समस्या को दर्शाता है, बल्कि समाज की संवेदनहीनता और सहानुभूति की कमी को भी उजागर करता है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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