परमात्मा ही सारे अवतारों के कर्ता हैं, जब-जब पृथ्वी पर उनकी आवश्यकता होती है तब-तब वह अवतरित होते हैं – जीयर स्वामी

On: October 28, 2023 2:48 PM

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झारखंड वार्ता
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):- श्री बंशीधर नगर प्रखंड के पाल्हे जतपुरा गांव में शनिवार को श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के समापन के अवसर पर भागवत कथा के दौरान श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि “परमात्मा ही सारे अवतारों के कर्ता हैं। जब-जब पृथ्वी पर उनकी आवश्यकता होती है तब-तब वह अवतरित होते हैं। महाप्रलय के समय एकमात्र परमात्मा ही धरती पर विराजमान रहते हैं। परमात्मा वस्तुतः अवतार नहीं अवतारी हैं। समस्त अवतार परमात्मा (नारायण) से ही नि:सृत होते हैं। सभी अवतार परमात्मा के ही रूप हैं। वह परमात्मा से अभिन्न हैं। सूत-शौनक संवाद की चर्चा करते हुए कहा कि धान का एक बीज बोने से सैकड़ो दाने आ जाते हैं। बीज रूप में बोया गया धान का मूल अलग है और उससे प्राप्त दान का स्वरूप अलग है। इस तरह परमात्मा मूल से ही अनेक रूपों में अवतार लेते हैं। परमात्मा के अनेक अवतारों को आश्चर्य नहीं मानना चाहिए। श्री स्वामी जी ने कहा कि परमात्मा के अनंत अवतार हैं। इनमें 1000 विशेष हैं। उनमें 108 प्रसिद्ध हैं, जिनमें 24 अवतार प्रमुख हैं, इनमें से चार अवतारों की विशेष प्रसिद्ध है। इन चार अवतारों में भी दो बहु चर्चित हैं। इनमें से भी एक अवतार को सर्वाधिक प्रमुख माना गया है, जो कृष्णावतार हैं। स्वामी जी ने कहा कि चारों युगों की अवधि अलग-अलग है। कलयुग का काल 4,32,000 वर्ष, द्वापर का 8,64,000 वर्ष, त्रेता का 12,96,000 वर्ष और सतयुग का 17,28,000 वर्ष है। श्री स्वामी जी ने कहा कि छल-छद्म और पाखंड से बड़ा आदमी बनने वाला बहुत दिनों तक टिक नहीं पाता। क्योंकि उसकी बुनियाद कमजोर होती है। वह हमेशा निडर होने का दिखावा करता है, लेकिन भीतर से काफी कमजोर होता है।“