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सादे लिबास में हल्की मुस्कान के साथ दिखाई देने वाली यह महिला आपको साधारण लग सकती है लेकिन इस मुस्कान के पीछे गहरे अर्थ छिपे हैं। नाम है सरस्वती देवी । इस मुस्कान के पीछे सरस्वती देवी का मां दुर्गा सरीखा व्यक्तित्व छिपा है। झारखंड के हजारीबाग की रहने वाली सरस्वती देवी वही महिला हैं जिनको आजादी के लड़ाई के दौरान सबसे पहले जेल जाने का गौरव हासिल है। कल्पना कीजिए, यह 1921 का वक्त था। जब महिलाओं का घर से निकलना भी दूभर था तब सरस्वती देवी ने पर्दा प्रथा के खिलाफ मुहिम छेड़ थी। उनकी लड़ाई थी समाज में कुरीतियों के रूप में बैठे महिषासुर से । सरस्वती देवी समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष के दौरान कई बार जेल गईं। बता दें कि आजादी की लड़ाई में जब भी हजारीबाग का जिक्र आता है तो बरबस जयप्रकाश का नाम जेहन में आज जाता है। जेपी, हजारीबाग सेंट्रल जेल तोड़कर अपने साथियों के साथ भागे थे।

हालांकि, सरस्वती देवी की कहानी में ऐसा कोई थ्रिल या रोमांचकारी पल नहीं है, लेकिन साधारण सी दिखने वाली सरस्वती देवी के कारनामे असाधारण थे। उनके त्याग, अदम्य साहस और देश के प्रति समर्पण भाव के कायल महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद और खान अब्दुल सत्तार जैसे महापुरुष भी थे।